मेरी प्यारी माँ

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** आदाबो एहतराम ऐ मेरी माँ तुझे,झुक-झुक करूं सलाम ऐ मेरी माँ तुझे। बाँहों के पालने में झुलाती रही मुझे,लोरी हरेक रात सुनाती रही मुझे। अच्छे-बुरे का पाठ पढ़ाती रही मुझे,दुनिया की बदनज़र से बचाती रही मुझे। कंधे पे जग की सैर कराती रही मुझे,गोदी में लेके लाड़ लड़ाती रही मुझे। … Read more

ख़ता क्या ?

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:१ २ २-१ २ २-१ २ २-१ २ २… खता हो गई क्या भला ज़िन्दगी से।सजा क्यों नहीं हर सिला ज़िन्दग़ी से।खता हो गई क्या… मनाते सभी जश्न आगाज़ पर ही,मगर गम बने रहते अन्जाम तक भी।न अन्जाम लाते खुशी ज़िन्दगी में,भला किस तरह का गिला ज़िन्दगी से।खता हो गई … Read more

स्त्री…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** स्त्री दिल दुखाती नहीं,ज़ुल्मत फैलाती नहींवह है सुबह, वही शमाँ,रौशनी छिपाती नहीं। दिखाती है भूल गयी,भूल कभी पाती नहींजीती है वो प्यार में,जरा भी जताती नहींपी जाती हे आग भी,प्यास पर दिखाती नहींखो जाती खुद खाक बन,कभी भी जलाती नहीं…। अश्कों गम से खेलती,किसी को रुलाती नहींहो जाती है खुद फ़ना,दरिया दिल … Read more

माहौल

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ दुनिया को डरा रही है मौत की परछाइयाँ,सब ही समझ रहे हैं इसकी गहराइयाँ। कैसा राक्षस है ये क़फ़न बेचने वाला,अब भी उसे तो चाहिये मीठी मिठाईयां। लाशों पर अपनी रोटियाँ सेंकने वालों,आएगी कभी तो तुम्हारी भी बारियाँ। क्यों हवा में भयानक ज़लज़ला आया है,प्राणवायु के लिये मजबूर भरते सिसकारियाँ। जो दवाई मुफ़्त … Read more

दिल में बस गये क़रार बनकर

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ वो आये चमन में बहार बनकर,दिल में बस गये मेरे क़रार बनकर। उनका इतराना शर्माना या ख़ुदा,मन में घुस गया कटार बनकर। देखूँ उनको या ग़ुलाबी गुल देखूँ,जिस्त में छा गये यार बनकर। हुस्न है के बहारें चमन है यारा,खंजर लगे नज़र में तार बनकर। आता है प्यार देखकर सिंगार,लिपट गये फूलों का … Read more

बीता साल

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** ना कोसो बीते साल को,ये तो फ़र्ज़ निभाने आया था,इंसां को उसकी हद समझाने और जगाने आया थाl लख्त है जिस क़ुदरत का,उसको दोयम इसने मान लिया,ख़ुदग़रज़ी इंसां ने,खुद को,ख़ुदा जमीं का मान लियाlख़ुद-बीं इस नादां को,उसकी ज़मीं दिखाने आया था,ना कोसो बीते साल को,ये तो फ़र्ज़ निभाने आया … Read more

ज़िन्दगी और मैं

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** आई थी ज़िंदगी तो हँसने खेलने,इसकी नुमाईश कर,लगा मैं बेचनेथी भूख ज़र की,गैरों को सौंपा इसे,सौदागरों के हाथों में छोड़ा इसेl इल्म का श़बाब जिसके पास है,ज़ज़्ब फन का जितना जिसके साथ हैबेदर्दी से उसने,बड़ी,नोंचा इसे,दौलत की अंधी गलियों में छोड़ा इसेl बदली हुई अज़ीब इस बयार में,बिक रही … Read more

दुआ

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** इल्तिज़ा इतनी-सी मेरी है ख़ुदा,मैं करूँ,वो ही दुआ,जो है दुआ। माँगना ख़ुद के लिये तो,भीख है,बेक़स का हक़ माँगूं अगर,तो है दुआ। माँगूं तख़्तो-ताज़ गर,वो आज़ है,ख़ैर सबकी माँगूं गर,वो है दुआ। ना इक्तिज़ा,ज़र ओ ज़मीं मुझको मिले,मुफ़लिस को ख़ुशहाली अता कर,है दुआ। दैरो-हरम तो,बात मज़हब की हुई,इंसानियत ज़िंदा … Read more

अना नहीं ये

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** दुनिया के बाज़ार में,व्यापार है बहुत,फ़नकार हैं बहुत,तो ख़रीदार भी बहुतउम्मीद से ज्यादा मिली कीमत जिन्हें,खुश थेख़ुद्दार थे हम,इसलिये,बस,हम नहीं बिके। कीमत वफ़ा की चाहें,आशिक सिरफ़िरे बहुत,ख़ुद ना तसद्दुक हो,रखे उम्मीद,पर,बहुतकसमें खा,कर वादे,शर्तें ये जहाँ लगेये है तिज़ारत,ना मुहब्बत,हम नहीं बिके। बेक़स के हक़ का मामला,गवाह थे बहुत,हम थे … Read more

मुश्किल वक़्त गुज़र जाएगा

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** देख दुश्वारियाँ,बोला बूढ़ा शजर, है वक़्त मुश्किल,मगर,जाएगा ये गुज़र इम्तिहां की घड़ी है,जरा सब्र कर, है वक़्त मुश्किल,मगर,जाएगा ये गुज़रll हर बरस छीनती,बर्ग ये शाख से, ज़ीस्त मेरी,मगर,छीन सकती नहीं जाना होगा ख़िज़ां को,ये तय बात है, हौंसले से मेरे,जीत सकती नहीं हाँ,बहारें लिये,आएगी फिर सहर, है वक़्त मुश्किल,मगर,जाएगा … Read more