जीवन पथ
तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** जीवन पथ परचले हो राही,जीवन कोना समझो भार,रेशम कीचादर में सिमटी,होगी कभीखाण्डे की धार। कभी नयी-नवेली दुल्हन,कभी होगीबेवा लाचार,मारेगी कभीकसकर तमाचा,कभी करेगीलाड़-दुलार। कभी तरुवर कीशीतल छाया,लगती कभीतपती…