शातिरता की इंतहा

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* सालों-साल फरेबियों के बीचरहते रहे…हमें खबर तक न हुई,वो मोहरा बना शातिरताकरते रहे…हमें खबर तक न हुई।खबर हुई भी तो तब, जब,जिंदगी की शाम ढलने…

0 Comments

हिन्दी लिए हर ज्ञान

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** कहें सबसे सुगम हिन्दी सभी को देख भाती है।सदा तुलसी महादेवी सरिस का मान पाती है॥ युगों से देख हिन्दी ही रही साहित्य की भाषा।कभी कविता, कहानी बन…

0 Comments

कर्जदार

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** हर चीज की मदद के लिए, करनी पड़े पुकार ही,हर क्षण है गिरवी हमारा, चाहे जीना दिन चार ही। क्या लेकर तो आए थे और क्या…

0 Comments

ग़म ऐ दिल…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** हाय! क्यों,ग़म मुझे छोड़ता नहीं हैमेरी खुशियों को मुझसे,जोड़ता नहीं है। ऊब सा गया हूँ,तक़लीफों को सहते-सहतेमर न जाऊं कहीं,भावनाओं में बहते-बहते,मेरे ग़म ऐ दिल को कोईसमझता…

0 Comments

हिंदी प्यारी है हमें

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* यही हिन्द की शान, हिंदी प्यारी है हमें।यह भारत का मान, हमको इस पर गर्व है॥ करें राष्ट्र सम्मान, निज भाषा अपनाय के।भरा हुआ सब ज्ञान,…

0 Comments

महत्वाकांक्षा…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** मानव रचना विस्मयकारीसमझे उसे नहीं रचयिता,लाख जतन करे मोह बचनेमहत्वाकांक्षा से न जीता। सपने देखे भारी-भारीछोटी-छोटी रातों में,सच्चाई से बंद कर रखताआँखों को अहातों में। बुनता तो…

0 Comments

हिंदी-मेरी जिंदगी

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* नवयुग की आवाज़ है हिन्दी,बचपन की तुतलाती बोली है हिंदीशब्द-शब्द पर खुशियाँ बाँटती है हिंदी,जवाँ दिलों की धड़कन है हिंदी। माथे की बिदिया-सी चमकती है हिंदी,हमारी…

0 Comments

सम्मान करो हिंदी का

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** हिंदी और हमारी ज़िंदगी.... हिंदुस्तान के वासी हैं हमहिंदी हमारी भगिनी है,माँ भारती की लाड़लीअन्य भाषाओं की जननी है। सम्मान करो हिंदी काहिंदी देश की शान…

0 Comments

माँ, छाँव हो तुम

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* भोर की ठंडी ओस हो तुम,सूरज की पहली किरण हो तुमधूप कड़ी तो घनी छाँव बन जाती हो तुम,हर मौसम में एक जैसी हो तुम। आँखों…

0 Comments

क्या कहूं…!

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** जब-जब आती है बारिश,मन कहे कि देखता रहूंयाद आती है वो बारिशें,मन फिर से भीग जाता हैकितना मजा, के क्या कहूं…! पोते को स्कूल छोड़ने जब,जाता हूँ तब…

0 Comments