चाँद का फूल…

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** नानी का घर और छत पर सोना,चाँद का फूल, अम्बर का बिछौना। तारों से बातें कर-कर रोना,छूट गया यह सब, बस रह गया कोना। छूट गए…

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चलो दूर सपनों की दुनिया में

डॉ. सुनीता श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)*************************************** चलो चलें अब कुछ दूर,सपनों के गहरे समंदर मेंअधूरे ख्वाबों का साथी,आसमान की उड़ानों में। सूरज की किरणों के साथ,हो चलें हम सवेरे के साथपुनः लिखें…

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पायल के स्वर

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* नीर भरे नयन लेकर, पूछती है कंगना,कहो ना सखी कब आएंगें, मेरे सजनाअपने कोमल हाथों से मुझे सहलाएंगे,कहेंगे बहुत सुन्दर लग रही है, कंगना। हर रोज,…

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अपनी यादों से जुदा न कर सके

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* तुझसे बात करने का दिल करता है,पर सारे रास्ते बंद नज़र आते हैंमिलने की उम्मीद भी,अब धूमिल नज़र आती है। क्यों सिमट गए हो सिर्फ़, अपनी…

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पागल होना ही है

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* मैं पगली हूँ,लोग मुझे पगली कहते हैं।पर मुझे पगली बनाया कौन ने ?इसी समाज के दरिंदों ने। मेरी जवानी और,मेरे जिस्म के लालच मेंदरिंदों…

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चंदा भी…

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** चंदा भी एक भीख होती,जो किसी के माध्यम के लिएमांगी जातीचंदा किसी बीमार, धार्मिक या,किसी गरीब के जायजचंदा मांगते हुए कई अपनीरोटी सेक लेते हैं। चंदा का…

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आज मन विकल

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** आज मन मेरा विकल,करती सृजन इस आस मेंहो अगर यदि साथ मेरे,प्रकट हो प्रतिभास में। गूँजती बस एक ही ध्वनि,निज हृदय की प्यास मेंएक ही स्वर कर…

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हर चुभन से जगी चेतना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* शूल की हर चुभन से जगी चेतना,जगा आत्मविश्वास फिर से संभलनाथा घायल क्षत-विक्षत तिरोहित भावना,मुश्किलों की खाईयों में औंधे मुँह गिरीअभिलाषी सोच और मेहनतकशी…

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साथ निभाना साथी

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ हर मुश्किल दौर में तुमसाथ निभाना साथी,कठिनाइयों के इस दौर मेंज़िन्दगी कितना इंतहान लेती है,पर मंज़िल की तलाश तो जारी है अभीआज दर्द हैं, दु:ख…

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पैबंद कहाँ नहीं हैं! जिन्दगी…

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** क्या कहते होथेगले लगे हुए कपड़े क्यों पहने हैं ?शायद तुम आजकल का फैशन नहीं जानते,नामचीन शो-रूम से ये कपड़े खरीदे हैं। तुम कहते हो पैबन्द लगे…

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