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साथ निभाना साथी

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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हर मुश्किल दौर में तुम
साथ निभाना साथी,
कठिनाइयों के इस दौर में
ज़िन्दगी कितना इंतहान लेती है,
पर मंज़िल की तलाश तो जारी है अभी
आज दर्द हैं, दु:ख है पर, सुनहरी सुबह तो अभी बाकी है साथी।

सुबह नयी, विचार नए, संकल्प नए,
और ज़िन्दगी का यह दौर अभी बाकी है
कभी तो मुकाम मिलेगा साथी,
इसी लिए यह सफर अभी बाकी है।

चलों चलें इस जीवन के अविरल रंगों की ओर,
संतरगी आसमान तो अभी बाकी है
रात बहुत ही अंधियारी है साथी,
पर सुबह की वह आश अभी बाकी है।

मुश्किलों की यह काली घटाएं छंट जाएगी,
फिर वह खुशियाँ हमारे घर आएगी साथी
सुख का अहसास, जीवन का प्रकाश,
अभी बाकी है।
और मंजिल हमें मिल जाएगी साथी,
एक तेरा साथ अभी बाकी है॥