सच्चा धन

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** सच्चे धन हैं सात हमारे,रखना इसका ध्यानकीमत इसकी समझ लीतो सदा बढ़े सम्मान। पहला मंत्र है दर्पण जैसा,'मन' अपना हो साफनहीं किसी की करो बुराईगलती कर दो…

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अनुरोध

रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** कभी अकस्मात्,निष्प्राण हो जाएगीमेरी देह!एक दीर्घ नि:श्वास लेकर,स्थान बदल लेंगे सपनेबस दिखावा करतेमिलेंगे,कुछ विषैले 'अपने!' उन तथाकथित अपनों के संग,न करना मुझे निर्वस्त्रन छूने देना उन्हें,मेरा…

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प्रकृति का सौन्दर्य मनभावन

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* प्रकृति का सौंदर्य कितना पावन,कितना मनभावनचहुं दिशा में ऊंचे-ऊंचे पर्वत, घनघोर घटाएं उसके ऊपर। हरित वर्ण छाया पर्वत पर, घटाएं आई उमड़-घुमड़ करजब चली पवन मतवाली,…

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बे-इंसानियत

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** इंसानों की इन बस्तियों में,है बे इंसानियत कैसे आ गई ?इंसानियत खो गई आसमां में, या धरती उसे है खा गई ? कुछ तो होगा जवाब…

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वक्त की टहनी पर बैठे हैं

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* हर वक्त धन की पिपासा में लीन,क्या सच में उपयोग कर पाएगालालच, लोभ की मृगतृष्णा में फंस कर,क्या जीवन व्यर्थ गंवाएगा ? खुद को स्थापित करके,कुछ…

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माँ… तेरा साथ

ज्योति नरेन्द्र शास्त्रीअलवर (राजस्थान)************************************************* बिना मांगे भी चुपके से,एक और रोटी मेरी थाली में सरका देती हैवो मेरी माँ है जनाब,अपने हिस्से का खाना मुझे खिला देती है। पढ़ी-लिखी नहीं…

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सात समन्दर पार

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* जाना है अब मुझे सात समन्दर पार,जहाँ हमारे प्रियतम, करते हैं इंतजार। विरह की वेदना, अपने मन में हैं लिए,कुंठित आकुल मन से, मुझे याद किए।…

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सिमट रही है दुनिया…गलियारा

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* दो दीवारों के बीच की जगह गलियारा,जहाँ होता है कभी-कभी अंधियारा। पहले बड़े-बड़े भवनों में होता था गलियारा,अब तो सिमट रही है दुनिया, नहीं…

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भर दे झोली

मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* भर दे झोली खाली,सब सुख देने वालीमहिमा बहुत निराली,जय माँ शेरावाली। शत-शत शीश नवाते,गुण तेरा सब गातेमहिमा तेरी न्यारी,कहते नहीं अघाते। करती जग रखवाली,जग तेरी फुलवारी।तेरी…

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नव वर्ष है, क्या हर्ष है

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* नव वर्ष है, क्या हर्ष है,चारों ओर पावन परिवेश है। नई फसल लहलहा उठी,धन-धान्य से धरती झूम उठी। मिल सके सबको पेट भर अन्न,सहयोग गर करें…

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