जीवन जीना

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* हमारे पास जो कुछ है,उसे साझा करनादूसरों से जुड़ने का,एक खूबसूरत तरीका है। हमारी 'मित्रता' उदारता की,किसी भी गुणवत्ता सेबहुत अधिक बड़ी होती है। इससे भी…

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क्यों कुचल देते हैं लोग ?

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** कितनी कोमल कितनी सुंदर कितनी छबीली होती हैं बेटियाँ,फिर भी न जाने क्यों करते हैं लोग मूर्खता में इनकी अनदेखियाँ। दिख जाता है किसी मुस्कुराती बेटी…

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संवत बदल गया…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** लो सूरज फिर ढल गया…पंचांग का पृष्ठ भी, आज से बदल गया,संवत भी साल भर चल, अब चल दिया। अच्छा गुजरा बुरा गुजरा, वो…

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अपने सुख में भूल गए सब

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** अदंर-बाहर में धुँधला-सा,तम फैला चहुँ दिशि गहरा-सा मैं क्यों कह दूँ अम्बर रोता,और क्यों पूछूँ, क्यों उलझा-सा ? वृक्ष कटे सुलग रही धरती,वाहन बोझ सिसक रही धरतीउद्योगों…

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चाहत में इसे बदलाता है

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** इन फूलों पर बैठी तितली, भौंरों से नित राग लड़ाती हैभौंरे ने भी इनसे चूसा है कुछ,ये भी इनसे कुछ खाती है। फूल मुग्ध रंग-रस पे…

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अपने हैं तो…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** मुश्किलों के दौर में हमेशा,अपनों के साथ रहिएमिट जाएंगे सारे ग़म,बिल्कुल न उदास रहिए। अपने हैं तो हर ग़म का,निश्चित समाधान होगाकोई नासमझ ही होगा जो,अपनों से…

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कविता क्या हो तुम ?

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* कविता क्या हो तुम ?जीवन की इस दौड़-धूप में,कुछ क्षण का विश्राम हो तुम। कविता क्या हो तुम ?सुबह से रात तक घर चलाने की,उधेड़बुन में…

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रेत की कृति

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* समुद्र तट पर बालूका राशि से,बनी ये सुंदर-सी अनोखी कृतिइसे देख सबके मन में आती है,एक सुंदर एवं प्यारी-सी स्मृति। पालनहार अपने हाथ में…

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अन्तर्मन से छोड़ दिया

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ कल्पनाओं की इस उड़ान मेंउड़ता जा रहा हूँ में,कदम लाख बहकते हैं मेरेपर इसे थाम लेता हूँ मैंअन्तर्मन से साथ तेरा छोड़ दिया है मैंने,तेरे…

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उजाले आ गए

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* अब निशा काली न आये, दिन उजाले आ गये,हर तरफ जो थी उदासी, दिन सजीले आ गये। चेतना को मन बताये सारी सृष्टि का तराना,दृष्टि…

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