मेरे प्यारे जंगल

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** ठंडी आबो-हवा का तू हक़दार,देता निःशुल्क ऑक्सीजनजिसे हम कहते प्राणवायु। प्राणियों का संरक्षक,जंगल के राजाओं कोरखता अपने घर मेंपहाड़ों-घने वृक्षों से सजाघर कहलाता जंगल,हजारों पंछियों का कलरवऔर…

Comments Off on मेरे प्यारे जंगल

आजकल के रिश्ते

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* आजकल के रिश्ते भी कितने अजीब होते हैं,दिखावे के अलावा कुछ भी तो नहीं होते हैं। जब जरूरत होती है तो मिठास नज़र आती है,काम निकलने…

Comments Off on आजकल के रिश्ते

स्वास्थ्य ही सब कुछ

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** अच्छा स्वास्थ्य ही हमारे,जीवन का आधार हैबिना अच्छे स्वास्थ्य के,जीना बेकार है। धन चला गया तो,वो दोबारा वापस आ जाएगापरन्तु स्वास्थ्य की कमी को,कोई दूर…

Comments Off on स्वास्थ्य ही सब कुछ

परिंदे अच्छे

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** सर्दी-गर्मी सब सहते हैं,प्रकृति से खूब लड़ते हैंअपने बच्चों की खातिर,कुछ भी कर गुजरते हैं। भोजन की तलाश में,दूर-दूर तक चले जाते हैंइंसानों से अच्छे होते हैं,अपना…

Comments Off on परिंदे अच्छे

रोशनी

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* रोशनी तब भी थी,रोशनी अब भी हैसिर्फ़ देखने का,अंदाज़ कुछ अलग है। घने जंगल के छोर पर,कुटिया में रोशनी की लौ थीपूर्णिमा की आभा में पथरीले…

Comments Off on रोशनी

तकदीर से शिकायत नहीं

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** कई चेहरे गुजरे नजर के सामने से,किसी पर यह दिल आया ही नहीं। सोचता था बड़ी सूनी है जिंदगी,कसर कभी कम होगी कि नहीं! एक दिन अलग आया…

Comments Off on तकदीर से शिकायत नहीं

घोर कलयुग आता है

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** आज न रावण सीता हरण को,छल-प्रपंच कोई अपनाता हैआज न दुर्योधन भरी सभा में,दुशासन से द्रौपदी का चीर हरवाता है। आज न सीता को है कोई…

Comments Off on घोर कलयुग आता है

क्यों आँसू अब तक नहीं बहे!

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** आँसू नहीं बह रहे हैं, तो कोई तो कारण होगारोती रह जाऊँगी, तो कैसे बच्चों का पालन होगा,छोटे से बच्चों को, भाग्य भरोसे छोड़ गए हो तुममेरे…

Comments Off on क्यों आँसू अब तक नहीं बहे!

गहराई

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ तप-तप कर जीवन में,इस तपन को तू सह रहा हैतुझे मालूम भी नहीं,कितना संघर्ष कर रहा हैसमंदर की गहराइयों में तू जी रहा है। हर…

Comments Off on गहराई

तेल का खेल

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* तेल का होता बहुत बड़ा खेल,करा देता है अनजानों में मेल। तेल आता है बहुत जगह काम,लगाने, खाने, मालिश के काम। ये तेल होता…

Comments Off on तेल का खेल