अहसास
विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** मुर्गी के दड़बे में फड़फड़ाती मुर्गियां अंतिम साँसों को गिन रही थी। बेजुबाँ,कभी कसाई के छुरे को,खून के छींटों को,तो कभी दम तोड़ती, खाल उधड़ती मुर्गियों को देख रही थी। कत्ल और बेबसी के बीच छुरा कसाई के पैर पर जा गिरा,जरा-सा कटते ही कसाई जोर से चिल्ला उठा। दर्द ,घाव,और … Read more