काया बन जाएगी माटी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* नहीं तन अपना, नहीं धन अपना,काहे को ललचाता है मन अपना। करते रहना सब धर्म-कर्म अपना,एक दिन जग हो जाएगा सपना। माटी में तन को तो…

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माँ का त्याग

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* बैठी एक चिड़िया सहन कर रही तेज धूप को,पास जाकर देखा तो वह बैठी सह रही अपने अंडों को। आह निकल गई हृदय से, ममता भरी…

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बड़ी अनमोल है रोटी

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** रविवार का था दिवस, छुट्टी का माहौल,बैठे थे कुछ दोस्त इकट्ठा, देख रहे थे मैचबीच में सबको तलब लगी जब चाय बनाए कौन ?उठा दोस्त एक शान…

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महका था ऑंगन

रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** चहक उठे थे पंछी घर के, तुलसी संग महका था ऑंगनबरहा, छठ्ठी और होली के, गीतों पर ठुमका था ऑंगन। घर छोटा, परिवार बड़ा था, खुश…

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परिभाषा नारी कठिन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* परिभाषा नारी कठिन, महिमा कठिन बखान।हे अम्बा धरणी जयतु, कठिन मातु सम्मान॥ लज्जा श्रद्धा मातृका, ममतांचल संसार।क्षमा दया करुणा हृदय, मातृशक्ति उपहार॥ नार्य जगत…

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बच्चों को मत बाँटिए

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* मॉं-बाप के अहं में आज बच्चे पिसते हैं,दोनों के प्यार की जगह पर झिड़की सहते हैं। है अगर छोटा बच्चा मॉं के हिस्से आता…

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करो विश्व कल्याण

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम... भटक रहे हैं लोग सब, संकट में हैं प्राण।परमेश्वर भोले नमः, करो विश्व कल्याण॥ परम् सत्य शिव सुन्दरम्, देवों के सरताज।हे परमेश्वर…

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स्त्रियाँ भूल जाती हैं…

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** ये स्त्रियाँ,घर को सजाती हैंऔर खुद सँवरना भूल जाती हैं। परिवार को भरपेट खिलाती हैं,और खुद खाना भूल जाती हैं कोई होता भी तो नहीं पूछने वाला,क्या तुमने…

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स्वर्ण रथ

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** मैंने देखा एक स्वर्ण रथ,माँग रही थी जब भिक्षादेख उसे मैं विस्मित बोली,शायद मेरी हो अब रक्षा। चला आ रहा था वह जैसे,राजाओं का हो राजामैंने सोचा…

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बीत रहे दिन ऐसे

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* वर्ष माह सप्ताह में, बीत रहे दिन ऐसे।देख रहे हों जीवन, नभ से प्रभु जैसे। जेठ अषाढ़ में होता, ताप धरा में जितना।सावन भादों में…

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