धरती का भगवान

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** दाल और बस रोटी ही,भोजन में पकवान बना,गोल घड़ी थी चश्मा था जो,जीवन की पहचान बना।निज कपड़े निज बर्तन सारे,खुद ही धोया करता था-कहने को इंसा था लेकिन,धरती का भगवान बना॥ परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन … Read more

देश-धरा को अर्पण था

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** दीन-हीन की दलित पतित की,पीड़ा का वो दर्पण था,और उन्हीं की खातिर उनका,सारा नेह समर्पण था।निर्मल मन था दुर्बल तन था,तन पर एक लंगोटी थी-शेष रहा जो कुछ भी सारा,देश धरा को अर्पण था॥ परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) में लिखते … Read more

डालें अच्छे बीज

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* कर्म की फसल सबको ही काटनी पड़ती है,अपने रास्ते की झाड़ी खुद ही छाँटनी पड़ती है।और कोई नहीं बांटता हमारी करनी का कुफल-नफ़रत की धूल खुद ही हमें फाँकनी पड़ती है॥ दुःख संघर्ष हार बाद भी जन्म विश्वास का होता है,जो कष्ट और धैर्य से घबरा गया,वो निराश होता है।हार का कभी … Read more

अंतस में हे मित्र तुम्हीं हो

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** साँस-साँस में कृष्ण बसे हैं,रोम-रोम में राम,अंतस में हे मित्र तुम्हीं हो,निरख रहे नयना अभिराम।तनहा-सा मैं दूर खड़ा हूँ,और नेह से तुम्हें निहारूँ-स्वीकार करें हे मेरे प्रियवर,मेरा पुण्य प्रणाम॥ परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन के साहित्यिक … Read more

जिन्दगी रोज़ सिखलाती है

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* जिन्दगी हमें हर मोड़ पर रोज़ आज़माती है,कुछ नई रोज़ हमें बतलाती और सिखलाती है।सुनते नहीं हम बात अंतरात्मा की अपने स्वार्थ में-ईश्वरीय शक्तियाँ भी हमें यह बात जतलाती हैं॥ उम्मीद की ऊर्जा से अंधेरें में भी रोशनी कर सकते हैं,भीतर के उजाले से हम मन मस्तिष्क भर सकते हैं।जो कुछ करते … Read more

सबके उर में समाया तिरंगा है ये

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. खूँ से सींचा चमन है भूल न जाना,निज की खुशी में ही तुम झूल न जाना।तनिक याद कभी करना वीरों को भी-आजादी है,ये सोच के फूल न जाना॥ निज का तंत्र नहीं गणतंत्र है ये,सबके हितों का एकमात्र यंत्र है ये।रोते क्यूँ हो अपने लिये ही ‘सागर’-सबकी खुशी … Read more

हमारा अमर भारत महान

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. आज विश्व के गौरव हम,सबसे बड़ा है लोकतंत्र,हमारा संविधान ही सूत्र,माला में बांधें है गणतंत्रlविभिन्न धर्मभाषा विविधता,में एकता है मन्त्र हमारा-आज आत्म निर्भर भारत,महान कहलाता है ये तंत्र॥ नमन है उन शहीदों को जो,देश पर कुरबान हो गए,वतन के लिए देकर जान,वो बे-जुबान हो गए।उनके प्राणों की कीमत … Read more

स्वार्थ की दीमक रोक न सके

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************* राष्ट्रीय मतदाता दिवस हम सालों से आ रहे मनाते हैं,लोभ स्वार्थ के वशी सत्ता के लिए समझ क्या पाते हैं।मतदान के लिए जागरूकता शीर्ष को सचेत न करती-औपचारिकताएं निभाते जाओ,बस सूत्र यही अपनाते हैं॥ कल को पराक्रम दिवस आज मतदाता फिर कल गणतंत्र मनाना है,हम क्या थे क्या हो गए और … Read more

कर्तव्य निभाता है डट कर

बिमल तिवारी ‘आत्मबोध’देवरिया(उत्तरप्रदेश)*************************** सीमाओं पर डटें,जो देश की रखवाली करतें हैं,बिना स्वार्थ हित लाभ के जो पहरेदारी करतें हैं।सर्दी शीत धूप ताप से लड़ते जो प्रतिक्षण हैं-उनकें त्याग वीरता की तो सब कहानी कहते हैं। जिनकी इच्छा तृष्णा तो मन में ही दब जाती हैं,जिनकी सतर्कता से होली दीवाली सब आती हैंजिनकी पहरेदारी से ईंद … Read more

मिट्टी का बदन

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* मिट्टी का बदन और साँसें बस उधार की हैं,जाने घमंड किस चीज़ का,बात विचार की है।आदमी बस इक किरायेदार,मेहमान कुछ दिन का-नहीं उसकी हैसियत यहाँ पर जमींदार की हैll