पृथ्वी और पर्यावरण

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* पर्यावरण दिवस विशेष………. पृथ्वी कहे-पर्यावरण दिन,मानव जागे। उचित होगा-संरक्षण करना,प्रत्येक दिन। दूषित करे-नदियाँ जलाशय,सोचता नहीं। उजाडे़ वन-वृक्ष काटते सदा,प्रगति नाम। बाढ़ बढ़ावे-तूफान भी भीषण,पावे हताशा। वर्षा गले जो-बदले तापमान,मानव त्राहि। करे दुहाई-सोचे नहीं मानव,आए विपदा। रोको जी क्षति-अपनी जीव दुर्गति,करो प्रगति। वृक्ष लगाओ-हरियाली बढ़ाओ,हानि हो कम। प्रकृति सदा-जीवनदायिनी माँ,देती आशीष। … Read more

जीतना है…

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’इन्दौर मध्यप्रदेश)********************************************* आंधी-तूफान-अच्छा है कोरोना से,दिखता तो है। ढूंढना मत-कोई गुनहगार,कोरोना तो है।मन का बोझ-मत बनाना इसे,मारा जाएगा।टूटना नहीं-कोरोना को तोड़ना,करना योग।सुन कोरोना-मन है विचलित,अब हो विदा।इंसान बड़ा-अदना-सा कोरोना,झटक इसे।लाल ना कर-केशरिया तिरंगा,घर में रह।हाँ,कोरोना तो-आँसू ही बहाएगा,परदेशी है।कोरोना होगा-इस तन से हवा,हो मजबूत।इधर देख-कोरोना हार गया,और मैं जीता। परिचय–कार्तिकेय त्रिपाठी का उपनाम … Read more

हमारे पालनहार

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* पिता हमारे-संकट में रक्षक,ऐसे सहारे। पिताजी सख्त-घर पालनहारऊँचा है तख्त। पिता का साया-ये बाजार अपना,मिले ये छाया। पिता गरम-धूप में छाँव जैसे,है भी नरम। घर की धुरी-परिवार मुखिया,हलवा पूरी। पिता जी माता-हमारे जन्मदाता,सब हो जाता। पिता साहसी-उत्साह का संचार,मिटे उदासी। पिता से धन-हो जीवन यापन,ऋणी ये तन। पिता कठोर-भीतर से कोमल,न ओर … Read more

मैं मजदूर…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान)****************************************** मैं मजदूर-रोटी की तलाश में,घर से दूर। सुबह शाम-बहाता स्वेदकण,नहीं विश्राम। दिल है बड़ा-अंधेरी झोपड़ी से,महल खड़ा। कैसी लाचारी-फुटपाथी जीवन,व्यथा है भारी। सब हैं मौन-सिर्फ़ चुनावी वादे,पूछता कौन। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता उदयपुर स्थित … Read more

माता हमारी जीवनदायिनी

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* माता हमारी,चाँद-सूरज जैसी-है वह न्यारी। माता का प्यार,अदृश्य वात्सल्य का-फूलों का हार। माता का क्रोध,हमारे भले लिए-कराता बोध। घर की शान,माता रखती ध्यान-करो सम्मान। माँ का दुलार,भुला दे हर दुःख-चोट ओ हार। माता का ज्ञान,माँ प्रथम शिक्षक-बच्चों की जान। घर की नींव,मकान घर बने-लाए करीब। त्याग मूरत,हर दुःख सहती-हो जो सूरत। प्रभु … Read more

कलम तीर है,बलवीर है

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* कलम तीर,कलम की ताकत-ये शमशीर। कलम शक्ति,कलम की पहुंच-करे भी भक्ति। कलम लिखे,शब्दों की सरगम-जो शक्ति दिखे। कलम जादू,कर सके कमाल-वक़्त बदलू। कलम बोले,ये सारा सच खोले-आदमी डोले। कलम नोंक,हिला दे सत्ता को भी-दम तो रोक। कलम यंत्र,दिखाए आइने सा-कलम मंत्र। कलम चित्र,सजीव चित्रण हो-लीला विचित्र। खोल दे राज़,यह कलम साज़-आए न … Read more

शुभ्रा वर दे

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** माँ हँसा रूढा,वेद वीणा कर मेंशुभ्रा वर दे। नवल स्फूर्ति,दिव्य रश्मि झरतीदिशा दिगन्त। मृदु मृदुला,साख में स्वरा स्यामाराग पंचम। वर्णनातीत,लक्ष्य दुर्गम पथठौर पुष्पित। तनी प्रत्यंचा,नभ चाँद छुपताशौर्य अदम्य। किसे सब्र है,भू विहीन चक्र हैधरा वक्र है। अरण्य बीच,भटकता पथिकपथ सुगम है। झील का दर्पण,विकल युग्म छाँवचाँद का नाव। कटी बेड़ियाँ,पलकों की सीढ़ियांहृदय द्वार। … Read more

सभ्यता

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** मानवता है-सभ्यताई जीवन,आदर्शवाद। इंसानियत-एक सभ्यता लक्ष्य,सम्मान देय। सद्भावना हो-सबसे प्रेम भाव,न्यायकारी जो। सबका हिती-सभी से आदर्शताव्यवहारिक। धीरतावान-दृढ़ निश्चय करे,आत्मविश्वासी।

अन्याय

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************* नाम की जांच-अन्दर साठ-गांठ,केवल नाच। मिला न्याय-थके आँख-कान भी,हुआ अन्याय। धरने पर बैठे-खोजते परिणाम,गूलर फूल। परिचय–शशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैL २६ जून १९७३ में मुरछा(शाहजहांपुर,उप्र)में जन्में हैंL वर्तमान तथा स्थाई पता शाहजहांपुर ही हैL उत्तरप्रदेश निवासी श्री मिश्र का कार्यक्षेत्र-प्रवक्ता(विद्यालय टनकपुर-उत्तराखण्ड)का हैL सामाजिक गतिविधि के लिए हिन्दी भाषा के प्रोत्साहन … Read more

उत्तम क्षमा

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान)************************************************************ महान पर्व-यह पर्यूषण का हैअद्भुत धर्म। सुख न पाया-प्रत्यक्ष अप्रत्यक्षदिल दुःखाया। राग ना द्वेष-मन से भुला देनासारे ही क्लेश। करुँ प्रार्थना-छोटी-सी है जिंदगीक्षमा याचना। श्रेष्ठ है दान-जियो और जीने दोअभय दान। प्रेम से बोल-भुला दो नफ़रतअमृत घोल। मन है साफ़-वीरों का आभूषणकर दो माफ़। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम … Read more