कुल पृष्ठ दर्शन : 224

You are currently viewing शुभ्रा वर दे

शुभ्रा वर दे

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

माँ हँसा रूढा,
वेद वीणा कर में
शुभ्रा वर दे।

नवल स्फूर्ति,
दिव्य रश्मि झरती
दिशा दिगन्त।

मृदु मृदुला,
साख में स्वरा स्यामा
राग पंचम।

वर्णनातीत,
लक्ष्य दुर्गम पथ
ठौर पुष्पित।

तनी प्रत्यंचा,
नभ चाँद छुपता
शौर्य अदम्य।

किसे सब्र है,
भू विहीन चक्र है
धरा वक्र है।

अरण्य बीच,
भटकता पथिक
पथ सुगम है।

झील का दर्पण,
विकल युग्म छाँव
चाँद का नाव।

कटी बेड़ियाँ,
पलकों की सीढ़ियां
हृदय द्वार।

तम नाशक,
भू योद्धा प्रथम हूँ
मैं दीपक हूँ।

एक हौंसला,
बस वही इंसान
एक उड़ान।

बैठ मत नादान,
एक गगन
और एक मचान।

चाहिए मान,
दौड़ तेज से तेज
छोड़ हताशा सेज।

मरु मानस,
रिमझिम फुहार
स्नेह स्पर्श के।

सन्नाटे का शोर,
बियाबान वीराना
विलुप्त भोर।

ख्वाब मटकी,
संभावना अंनत
फूटी छिटकी।

चक्षु तांडव,
प्रकृति कुपित हो
सृष्टि विप्लव।

मैत्री अग्नि की,
पिघला चटका तू
मोम काँच खूं।

पेन कागज,
धूल पटी डायरी
धुलती आज।

तू दायीं बाजू,
एक बिच्छू गोदा था
दंश देते हैं।

शब्द पाखी को,
अब आजाद करो
पिंजर काट।

मनु रूपा ने,
वन भोज किये थे
अबूझ अग्नि।

सिंधु अतल,
मोबाइल लहर
धर डुबोती।

स्वप्निल पथ,
बनू मधुमानिनी
सितारे बिछी।

नटनागर,
तू गागर सागर
मैं तृण तेरी॥

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply