नई शिक्षा नीति और सामाजिक सोच में कितना तालमेल ?

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में कहा कि-“ये शिक्षा नीति सभी के परामर्श से तैयार की गई है। यह कोई सर्कुलर नहीं,बल्कि महायज्ञ है,जो नए देश की नींव रखेगा और एक नई सदी तैयार करेगा।” प्रधानमंत्री का यह भाषण उनके संवाद कौशल की ही ताजा कड़ी है। … Read more

हर साल बाढ़,अब समाधान करना होगा

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ****************************************************************** जून से अब तक जब भी टी.वी. खोलो या किसी समाचार-पत्र पर नजर डालो-आज इतने बेघर इतने बहे और इतने मरे…पढ़ने अथवा सुनने को मिलता है। बड़े-बड़े व आधुनिक सुविधाओं शासन व्यवस्थाओं के लिए लोकप्रिय महानगर २-३ घण्टे की बरसात नहीं सह पाते। सड़कों पर पानी भर जाता है,नालियां बन्द होकर … Read more

अंग्रेजी पढ़ाई को स्वैच्छिक क्यों नहीं किया…कुछ प्रश्न

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** नई शिक्षा नीति-२०२०………. नई शिक्षा नीति का सबसे पहले तो इसलिए स्वागत है कि उसमें मानव-संसाधन मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय नाम दे दिया गया। मनुष्य को ‘संसाधन’ कहना तो शुद्ध मूर्खता थी। नरेंद्र मोदी सरकार को बधाई कि उसने इस मंत्रालय का खोया नाम लौटा दिया।पिछले ७३ वर्षों में भारत ने २ … Read more

पत्तों पर पानी डालने से कुछ नहीं बदलता,जड़ों का ही काम आएगा

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)*************************************************************** विश्व में जितनी संस्थाएं हिंदी की सेवा के लिए बनी हुई हैं,उतनी संस्थाएँ किसी अन्य भाषा के लिए नहीं हैं। जितने संवैधानिक प्रावधान,अधिनियम,नियम आदि और संसदीय समिति सहित तरह-तरह की समितियां,संगठन और हिंदी के विकास व प्रसार के लिए संघ सरकार और विभिन्न राज्यों में भाषा के लिए पूरे विभाग,देश के … Read more

राम मंदिर के साथ राष्ट्र मंदिर की स्थापना

संदीप सृजनउज्जैन (मध्यप्रदेश) ****************************************************** सन १५२८ का वो दृश्य,जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने ‘दोहाशतक में लिखा वो इतिहास में पढ़ते-पढ़ते भारत की लगभग २० पीढ़ियाँ परलोक चली गई, लेकिन हर आने वाली पीढ़ी को उस काले अध्याय को अंत करने की प्रेरणा भी देती गई। काल के प्रवाह में कईं उतार-चढ़ाव आए। कईं लोगों संकल्प ले … Read more

पवित्रता का प्रतीक ‘रक्षाबंधन’

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* दूसरी ओर यूँ भी बहनें भेंट स्वरूप भाई से तलवार की मांग कर रही हैं,ताकि वह बुराईयों को स्वयं काट सकें। वैसे भी वह सेना में भर्ती होकर अपना सम्पूर्ण दायित्व निभा रही हैं और युद्धक अस्त्रों-शस्त्रों से परिपूर्ण विमानों को उड़ा कर शत्रु के क्षेत्र में बम-वर्षा … Read more

कोरोना:हवा से बड़ा खतरा,सावधानी ही बचाव

प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ********************************************************** आज भारत में ‘कोरोना’ के मरीज सबसे ज्यादा हो चुके हैं,जो बेहद चिंताजनक स्थिति है। हमारे लिए मृत्युदर कम होना ही एक संतोष की बात है,जिसकी वजह से हमने आज इससे डरना बंद कर दिया है मगर ये स्थिति इलाज के अभाव में कभी भी करवट ले सकती है। तेजी से फैलते … Read more

राम की कीर्ति वनवास में!

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* राम जन्मभूमि मंदिर के लिए यह संयोग ही है कि भूमिपूजन उस ५ अगस्त को हुआ,जिस ५ को गत वर्ष जम्मू-कश्मीर राज्य से संविधान की ३७० ए धारा उठा ली गई और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। इसकी प्रतिक्रिया में पाकिस्तान में खलबली मची … Read more

कश्मीर:हालात पैदा करें कि आतंकवाद खत्म हो और पंडितों की वापसी हो

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. फारुक अब्दुल्ला ने गजब की बात कह दी है। उन्होंने कश्मीर के पंडितोें की वापसी का स्वागत किया है। कश्मीर से ३० साल पहले लगभग६-७ लाख पंडित लोग भागकर देश के कई प्रांतों में रहने लगे थे। अब तो कश्मीर के बाहर इनकी दूसरी और तीसरी पीढ़ी … Read more

मायने रखते हैं बिहारी भी,अपमान अनुचित

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)******************************************************************* गलवान की घाटी में माँ भारती की रक्षा करते हुए बिहार रेजिमेंट के २० योद्धा लड़ते-लड़ते शहीद हो गये। भारतीय संविधान को लिखने की अंग्रेजों की चुनौती को स्वतंत्र भारत के प्रथम महामहिम स्व. डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने विजयी अंदाज में स्वीकार किया,जो ठेठ बिहारी थे। ऐसा बिहार जो कभी भी भारत … Read more