परिभाषा नारी कठिन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* परिभाषा नारी कठिन, महिमा कठिन बखान।हे अम्बा धरणी जयतु, कठिन मातु सम्मान॥ लज्जा श्रद्धा मातृका, ममतांचल संसार।क्षमा दया करुणा हृदय, मातृशक्ति उपहार॥ नार्य जगत…

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बच्चों को मत बाँटिए

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* मॉं-बाप के अहं में आज बच्चे पिसते हैं,दोनों के प्यार की जगह पर झिड़की सहते हैं। है अगर छोटा बच्चा मॉं के हिस्से आता…

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करो विश्व कल्याण

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम... भटक रहे हैं लोग सब, संकट में हैं प्राण।परमेश्वर भोले नमः, करो विश्व कल्याण॥ परम् सत्य शिव सुन्दरम्, देवों के सरताज।हे परमेश्वर…

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‘पटना काव्य गोष्ठी’ में बिखरे रचनाओं के सुंदर रंग

पटना (बिहार)। रविवार को 'युगानुगूँज' संस्था के तत्वावधान में डॉ. निशि सिंह के आवास पर 'पटना काव्य गोष्ठी' का आयोजन हुआ। इसकी अध्यक्षता कवयित्री डॉ. पंकज़वासिनी (बिहार प्रमुख) ने की।…

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साहित्य सम्मान समारोह अब १५ जुलाई को

प्रयागराज (उप्र)। लोकसभा चुनाव के कारण ३० मई के स्थान पर अब साहित्य सम्मान समारोह १५ जुलाई को होगा। चयनित पुस्तकों- रचनाकारों की घोषणा ५ जून २०२४ को की जाएगी…

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अंतिम इच्छा

डॉ. बालकृष्ण महाजननागपुर ( महाराष्ट्र)*********************************** एक वरिष्ठ साहित्यकार काफी दिन से बीमार चल रहे थे। प्रत्येक दिन समाचार-पत्र में काव्य पाठ का समाचार पढ़कर अधिक उत्तेजित हो उठते। काश! मैं…

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कीर्तिमानी ग्रंथ का हिस्सा बनीं अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’

छिंदवाड़ा (मप्र)। दिल्ली में ११ मई को 'भारत को जानें' ग्रंथ का लोकार्पण होगा। इस मौक़े पर ग्रन्थ लेखन के सभी सहयोगी रचनाकार सम्मानित होंगे। ३ विश्व कीर्तिमान प्राप्त इस…

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स्त्रियाँ भूल जाती हैं…

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** ये स्त्रियाँ,घर को सजाती हैंऔर खुद सँवरना भूल जाती हैं। परिवार को भरपेट खिलाती हैं,और खुद खाना भूल जाती हैं कोई होता भी तो नहीं पूछने वाला,क्या तुमने…

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स्वर्ण रथ

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** मैंने देखा एक स्वर्ण रथ,माँग रही थी जब भिक्षादेख उसे मैं विस्मित बोली,शायद मेरी हो अब रक्षा। चला आ रहा था वह जैसे,राजाओं का हो राजामैंने सोचा…

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बीत रहे दिन ऐसे

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* वर्ष माह सप्ताह में, बीत रहे दिन ऐसे।देख रहे हों जीवन, नभ से प्रभु जैसे। जेठ अषाढ़ में होता, ताप धरा में जितना।सावन भादों में…

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