मन्नतों के धागे
डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* मन्नतों के अनगिनत धागे मैंने बांध दिए…।रात के बाद प्रातः सूरज ने फिर सवाल किए॥ बादलों पर चित्र उकेरे और दिया संदेशा,आयेगा जवाब कोई मन में था अंदेशा।उम्मीद नाकाम हो रही उदास जिंदगी जिये।रात के बाद…॥ कितनी कही-अनकही बातों की साथ थी सरगम,यादों की अनगिनत लड़ियां भी साथ थी हरदम।खोज में ही … Read more