समय की आवश्यकता है संयुक्त परिवार

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… हमारे कृषि प्रधान देश में संयुक्त परिवार रामायण व महाभारत काल से चली आ रही प्राचीन परम्पराओं व स्थापित आदर्शों के हिसाब से…

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मिलकर अपनों से

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’दिल्ली(भारत)****************************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… घर हमारा नज़दीक है आते-जाते रहा करिए,आना-जाना जीवन में मिलने-बतियाने के जरिएमिलकर अपनों से हमारे मन की गिरह खुलने लगती,दु:ख,तकलीफ,बाधाएँ दूर होकर…

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गंंभीरता

डॉ.पूर्णिमा मंडलोईइंदौर(मध्यप्रदेश) *************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… सरला के ३ बेटे और बहुएं थी। सबसे छोटे बेटे की शादी को अभी लगभग १ साल ही हुआ था। छोटी बहू अभी घर…

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हम होंगे कामयाब

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… सुमि आज बच्चों की आपस की बातें कान लगा कर सुन रही थी। आज उसकी सासू जी का जन्म दिन था। जब एनसीआर में…

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श्रीमती सिन्हा की स्मृति में हुई स्पर्धा

हरियाणा। राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान द्वारा श्रीमती कमला सिन्हा की स्मृति में अखिल भारतीय साहित्यिक प्रतियोगिता आयोजित की गई। संस्था के राष्ट्रीय महासचिव रूपेश कुमार ने बताया कि,श्रीमती सिन्हा के…

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किरदार बौना हो गया

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आदमी का आजकल किरदार बौना हो गया है।जिंदगी का फलसफा अब तो 'करोना' हो गया है। ढो रहा है आदमी कांधे सगों की लाश यारों,मरघटों तक…

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जीवन

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:चौपाई आधारित १६-१६ मात्रा तू ही जग का भाग्य विधाता।जीवन की रक्षा कर दाता॥ तेरी महिमा अनंत भगवन।तू ही छिपा हुआ अंतर्मन॥आज हरो दु:ख जग संजाता।जीवन…

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एहसासों की रंगोली

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** फूलों से कुछ रंग चुराकर,मांग ली सूरज से लाली।मोरपंख तूलिका सतरंगी,आ तस्वीर बनाएं आली। कोयल की हम कुहुक उतारे,झरने का संगीत उकेरे।पत्तों से छन-छन कर आती,उपवन की वह…

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सब दिन नहीं एक समान

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** जीवन की ये रीत तू जान ले इन्सान,दिन सारे होते नहीं यहाँ एक समान। आहट नए की कभी होती ही नहीं,गुजर गए हैं जो कब छोड़े…

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देवी जी खुश हैं

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… बड़ी मजेदार बात हुई। पत्नी नाराज थी। रोज ही सब्जी पर या अन्य किसी ना किसी बात पर चक-चक होती थी। महाराज जी खुद…

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