बड़ा अनोखा ठिया

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ बड़ा अनोखा होता है ठियाअपनापन झलकाता ठिया…गली के नुक्कड़ पर लड़कों का ठिया,बगीचे की बेंच पर बुजुर्गों का ठिया…।मयखाने में भी होता है ठिया,मंदिर में भक्तों…

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जीवन-ज्योति

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** फैले सत्कर्मों का तेरे प्रकाश,चमके हरदम जैसे हो मोती। दीपक-सा बनकर उजियारा,राह दिखाना हर राही को।सूरज-सी तपिश हो मन में,हर काम तुम्हारा शाही हो।फैले सत्कर्मों का तेरे प्रकाश,चमके…

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श्रेष्ठ अभिनेता रजनीकांत और फाल्के पुरस्कार की घोषणा का ‘संयोग’…!

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************** सवाल भारतीय फिल्म उद्योग और खासकर दक्षिण फिल्म उद्योग के चेहरे रजनीकांत को वर्ष २०१९ का प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार देने की घोषणा पर नहीं है,लेकिन…

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ख़्वाब मेरा सजाया होगा

अनिल कसेर ‘उजाला’ राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)************************************ प्यार ने प्यार से समझाया होगा,दिल में तब मुझे बसाया होगा। नज़रें मिली होगी जब नज़रों से,ख़्वाब मेरा फिर सजाया होगा। जब-जब मेरी याद आई होगी,आँसूओं का…

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अब तक जवान होली है

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* प्रेम का निशान हमारी,पावन होली है,भाईचारे की बोलती जुबान होली है।रंगों की शीतल फुहार है यह होली-हर दिल में घुलता,गुलाल होली है॥ प्यार का बढ़ता कारवां होली…

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मैं तो भीगी पिया रंग में

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* पुलकित मेरे नैन सलोने,मन बिछा रंगोली रे।मैं तो भीगी पिया रंग में,खूब खेलूँ होली रे॥ मैं कुछ इतराऊँ बल खाऊँ,नैन जब टकराये जी,आएँ गुलाल मुख पर…

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बिटिया रानी

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ बिटिया रानी बड़ी सयानी,सबको याद दिलाती नानी।पल में रूठे पल में माने,सुने बड़े प्रेम से कहानी॥ घर-भर में ऊधम मचाये,खिलखिलाकर हँसे-गाये।घर में घर घर खेलती,रोती रोती गुड्डी बिदा…

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जाना-पहचाना अनजाना घर

डॉ.हेमलता तिवारीभोपाल(मध्य प्रदेश)*********************************** जानना-पहचानना,दोनों में कितना फर्क है। मुझे तब तक नहीं पता था,जब तक तुमने बरतन,स्विच बोर्डलेपटॉप,डेस्कटॉप,मोबाइल,और घरेलू मशीनों को नहीं तोड़ा। घर के सामान के साथ,कभी मेरा हाथ…

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फागुन की अठखेलियाँ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************** रंगों के सँग खेलती,एक नवल-सी आस।मन में पलने लग गया,फिर नेहिल विश्वास॥ लगे गुलाबी ठंड पर,आतपमय जज़्बात।प्रिये-मिलन के काल में,यादें सारी रात॥ कुंजन,क्यारिन खेलता,मोहक रूप…

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शहर आ गया…

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** मैं यहां से वहां,वहां से जहां मेंचार पैसे कमाने,जहाँ में भटकता रहा। छोड़कर माँ-बाप और,भाई-बहिन,पत्नी कोचार पैसे कमाने,शहर आ गया। छोड़कर गाँव की,आधी रोटी कोपूरी के चक्कर…

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