राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी ३१ जुलाई को

दिल्ली। दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा शनिवार ३१ जुलाई की शाम ४ बजे राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन गूगल मीट पर किया जा रहा है। इसका विषय ‘हिंदी के विकास में सरकारी संस्थानों का योगदान’ है। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. रवि शर्मा ‘मधुप’ नें बताया कि,अध्यक्षता डॉ राम शरण गौड़, (अध्यक्ष, दिल्ली पब्लिक लायब्रेरी बोर्ड)करेंगे। मुख्य … Read more

सावन तड़पा गया…

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** सावन सावन है दिखा गया,सावन सभी राज बता गया।वो सावन इक गीत लिखे थे,ये सावन उसे बहा गया। वो सावन अश्क पी गया था,ये सावन फिर रूला गया।वो सावन जूही महके थे,ये सावन बू फैला गया। सावन बूंदों की बज़्म सजी,ये सावन सब बिखरा गयावो सावन डूबे थे सर तक,ये सावन क्यों तड़पा … Read more

सावन में तड़प

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** बचपन खोकर आई जवानी,साथ में लाई रंग अनेकदिलको दिलसे मिलाने को,देखो आ गई अब ये जवानीअंग-अंग अब मेरा फाड़कता,आता जब सावन का महीनानए-नए जोड़ों को देखकर,मेरा भी दिल खिल उठता। अंदर की इंद्रियों पर अब,नहीं चल रहा मेरा बसनया-नया यौवन जो अब,अंदर ही अंदर खिल रहातभी तो ये दिल की पीड़ा,अब और … Read more

आन बसे क्यों नदी किनारे ?

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** मिट्टी का घर कांप रहा है,पानी ढो-ढो थके पनारे।तीखी वर्षा के हमलों से,रोते पाये छान उसारे॥ दुश्मन दिखती तेज हवाएं,बरखा अब दहशत फैलाये,धरती पर पानी ही पानी,डूबे गाँव गली चौबारे॥ नदी क्षेत्र में गाँव हमारा,नीची बस्ती तरफ किनारा,रूह कांपती देख देख कर ,नदिया खड़े हिलोरे मारे। आले-खिड़की सब गीले हैं,गद्दे बिस्तर … Read more

माँ ही चारों धाम

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचना शिल्प:१६-११ पर यति, पदांत २,१….. माँ से कोई बड़ा न जग में,चरणन करूँ प्रनाम।माता जग में सुंदर मूरत,माँ ही चारों धाम॥ माँ ही सबसे पहली गुरु है,ममता देती प्यार।दया प्रेम ममता है माता,माँ ही शिशु संसार॥माता ही दौड़े आती है,दु:ख में छोड़े काम।माता जग में सुंदर मूरत,माँ ही चारों धाम॥ … Read more

काजल

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*************************************** सुंदरता की चाह में,काजल आँजे नैन।हिरनी जैसी देखती,कुछ नहिँ बोले बैन॥कुछ नहिँ बोले बैन,आँख से सब कुछ कहती।दिल में हरदम प्यार,सजाकर वो ही रहती॥कहे ‘विनायक राज’,देख मन मेरा भरता।नारी रूप निहार,लगे कितनी सुंदरता॥

मेरे प्रभु राम

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* मेरे शुभचिंतक प्रभु राम हैं,मेरे पूज्य पिता श्रीराम हैंपूजन करुँगी राम का,भजन करुँ राम काचरण धूली सिर,पर मैं रखूँगीहाथ जोड़विनतीकरुँमैं।‌ ‌जल्दी सिंहासन पर बैठो राम,होगा पूरण सबका काममझधार में पड़ी है अब,नइया हे प्रभु हमारीआप मेरी नैया का,खेवनहारा होकरा दो आप,भवसागरपार हे,राम। मन बेचैन है श्रीराम के दर्शन को,कब जन-जन की … Read more

संसदःपक्ष और विपक्ष का अतिवाद

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* संसद का यह वर्षाकालीन सत्र अत्यधिक महत्वपूर्ण होना था लेकिन वह प्रतिदिन निरर्थकता की ओर बढ़ता चला जा रहा है। कोरोना महामारी, बेरोजगारी,अफगान-संकट,भारत-चीन विवाद,जातिय जनगणना आदि कई मुद्दों पर सार्थक संसदीय बहस की उम्मीद थी लेकिन पेगासस जासूसी कांड इस सत्र को ही लील गया है। लगभग २ सप्ताह से दोनों सदनों … Read more

याद करो उन जाँबाजों को

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* याद करो उन जाँबाजों को,भारत माँ की संतानों कोराष्ट्र के उन जलते शोलों को,बगिया के सुंदर फूलों कोजो खिल न सके उजड़ गए,दूर अपनों से बिछड़ गएजाते-जाते देखा न पलट कर,विदा हुए तिरंगे में लिपटकरवो लौटकर कभी न आएंगे,आज हम गीत उन्हीं के गाएंगे…। उम्र में भी वो थे कितने … Read more

वास्तव में अत्यंत निंदनीय

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)****************************************** मुद्दा-ऑक्सीजन की कमी कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि,महाभारत काल बहुत विकसित रहा। कारण संजय ने अपने राजा को युद्ध की सब घटनाएं नित्य प्रति सुनाई और राजा को लग रहा था कि में स्वयं मैदान में रहकर साक्षात् युद्ध देख रहा हूँ। इसके अलावा धृतराष्ट्र को पूरे राज्य के घटनाक्रम … Read more