आँसू:एक चिंतन

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’  नागपुर(महाराष्ट्र) ************************************************************************* गम़ और आँसूओं से सराबोर,यह दुनिया। खुशी का,इक पल दूर तलक,नज़र नहीं आता॥ दिल लगे,तो किस पर कोई मूरत,बसे तो सही। भटकने का,प्रवाह…

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मजदूर की रोटी

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** अपनी व्यथा कहूँ मैं किससे,उमर हो गई छोटी, सारी दुनिया बंद पड़ी है,कैसे चलेगी रोज़ी-रोटी। रीढ़ की हड्डी हम हैं लेकिन,लगता है यह टूटेगी, रोज़ी-रोटी…

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नमन देश के वीर सपूतों को

उषा शर्मा ‘मन’ जयपुर (राजस्थान) **************************************************** नमन देश के वीर सपूतों को... थे एक वीर शहीद जिन्हें, पुकारते थे 'आशुतोष।' नई उमंग नहीं तरंग लिए मन में, उनके कदमों से…

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बंजारा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** यायावर बंजारे दिन उनके होते हैं, खोजी विचार वाले जो सीमित होते हैं। यद्यपि होती क्षमता कुछ अनगिन लोगों में- जनहित,परहित भाव कुछों में ही…

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मेरा राम फ़िर वनवासी हुआ जाता है

अंशु प्रजापति पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड) **************************************************************** मन मन्दिर रिक्त हुआ जाता है, मेरा राम फिर वनवासी हुआ जाता है कोई कालिमा कैकेयी सी है घर कर गयी क्या ? ये इतिहास…

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लौट आओ…

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** ये रास्ता, जो तुम्हें ले जा रहा है, नदी से रेत उलीचने। ये रास्ता, जो तुम्हें ले जा रहा है, टीले से मिट्टी निकालने। ये…

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आधी मजदूरी

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* सुबह-सुबह मालिक आया और कारखाने में अपने निजी नौकर के साथ घूम-घूमकर कह गया,-"आज दिन तुम्हारा है,समय से स्नान कर लो,कपड़े भी ठीक-ठाक पहन लो।"…

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गर्मी की तपन

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** देखो गर्मी की तपन,छायी है चहुँओर। तड़प रहे सब जीव हैं,मचा हुआ है शोर॥ तपती धरती आसमां,कलरव नहीं विहंग। नीर बूँद पाने सभी,हो…

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करे ये सच अभिव्यक्ति

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* कलम की शक्ति से कभी,जीत न पाया कोय। कलमकार की शक्ति ये,इससे सबकुछ होय॥ इससे सब कुछ होय,यह सोतों को जगाती। जो हैं रिश्वतखोर,उनको सामने…

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खुदा गवाह है महँगी हुई दुआ कितनी

कृष्ण कुमार कश्यप गरियाबंद (छत्तीसगढ़) ************************************************************************** (रचना शिल्प:१२१२ ११२२ १२१२ २२) जहां में आज है फैली हुई वबा कितनी। भरी है जहर से ये आज़ की हवा कितनी। नहीं तुम्हें…

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