हर बच्चे नित सभ्य सफल जीवन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ****************************************** नवांकुरित नवकिसलय भारत निकुंज,हर बच्चे कलियाँ कुसमित सुरभित हों।चहुँमुखी तरक्की हो जीवन मधुवन,अलिगुंज मुदित रमणीक चमन हों। बच्चे होते निर्माणक नव भविष्य,उन्मुक्त विहंगम विहगवृन्द हों।विद्वेष विरत निश्चल विमल गंगाजल,नव लतिका मृदुला बालक मन हो। नित आगाज़ नया नूतन परिवर्तन,अभिनंदनीय स्वागत हर बच्चे हों।हों कर्मवीर पौरुष बल लक्ष्य पथिक,संयमित धीर … Read more

लौट आओ मुसाफिर

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* उल्टी फेरी मत कीजिए रहोगे हरदम बन के दिन,दु:ख से तपोगे ऐसे,जैसे तड़पती जल बिन मीन। साधु-संत चलते हैं सदा,वह हरदम धर्म की चाल,किसी को कभी कहीं दु:ख ना हो,रखते हैं ख्याल। मित्र मांसाहारी ना बनना,संकट घेरेगा चारों ओर,डूबोगे भवसागर में,तब नहीं मिलेगा अन्तिम छोर। अब भी समझ मानव तू,कहना मेरा … Read more

माँ भारती…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** धन्य-धन्य माँ भारती,कैसे करूँ बखान।जगती को बाँटी सदा,उपकारों की खान॥ जन-जन जीवन एक है,ऐक लहू का रंग।धरती ही परिवार है,सदा बताती गंग॥ माँ सबका पोषण करे,सदा दिखाती राह।खोजे से मिलती नहीं,उपकारों की थाह॥ गंधसार,रज भूमि की,मलयज की है वात।निर्जर भी आकर यहाँ,धारें मनु की गात॥ सुधामई माँ भारती,जीवन का है सार।उपकारों का … Read more

उलझनें सुलझा दे

अभिजीत आनंद ‘काविश’बक्सर(बिहार)******************************************* ए साकी इस मर्ज की कोई दवा दिला दे,मिट जाएं सारे दर्द आज ऐसा कोई पैमाना पिला दे। ग़म भुलाने खातिर पीने तो शहर आता है यहां,पीकर दर्द उभर आए आज ऐसा कोई मयखाना बता दे…। लेखनी की स्याही सूखी पड़ी आज मेरी,दवात की जगह आज फकत जाम पिला दे। तेरे जुल्फों … Read more

कठिनाई

डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* कठिनाई के बाद भी,जो रण लेते जीत।सर्व खुशी उनको मिले,सबके बनते मीत॥ आती-जाती मुश्किलें,करे तुम्हें तैयार।घबराना मत तू कभी,जीत मिले या हार॥ कठिन परिश्रम कर चलें,आए जीवन काम।ध्येय लक्ष्यता को धरें,संचित कर्म तमाम॥ कठिन परीक्षा की घड़ी,देखो आई आज।लड़ने को तैयार हूँ,मुझे स्वयं पर नाज॥ जो करता है सामना,कठिन समय के … Read more

पिता के लिए उकेरी श्रेष्ठ भावना:प्रथम विजेता ममता तिवारी और सविता धर

इंदौर(मप्र)। मातृभाषा हिंदी के सम्मान की दिशा में हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार की तरफ से निरन्तर स्पर्धा का क्रम जारी है। इसी कड़ी में ‘पिता का पसीना,प्रेम और हम’ विषय पर आयोजित स्पर्धा में ममता तिवारी और सविता धर प्रथम विजेता बनीं है। इसी प्रकार क्रमश: एस. के. कपूर एवं सुरेन्द्र सिंह राजपूत ‘हमसफर’ ने … Read more

कुछ ना कहो

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** सुगुनी का विवाह अपने से बड़ी उम्र के आदमी किशना से हो गया था। किशना अच्छा पैसे वाला शख्स था। उसका बहुत पैसा सुगुनी के बाप राम चन्द्र पर उधार था। राम चन्द्र कैसे भी उस पैसे को नहीं चुका पा रहा था। किशना की पहली बीबी चार बच्चों को छोड़ कर … Read more

हम सबका खून एक ही

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* बिहार सरकार के एक मंत्री जमा खान ने अपनी ८०० साल की विरासत को याद किया और खुद की मिसाल पेश करके कहा कि सर संघचालक मोहन भागवत ने जो कहा है,वह बिल्कुल ठीक है। मोहन जी ने पिछले दिनों कहा था कि भारत के हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए एक ही … Read more

तेरे मीठे बोल ही याद आएंगें

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* चार दिन की जिन्दगी फिर अंधेरा पाख है,फिर खत्म कहानी और बचेगा धुंआ राख है।अच्छे कर्मों से ही यादों में रहता है आदमी-तेरे अच्छे बोल व्यवहार से ही बनती साख है॥ कब किससे कैसे बोलना,यह मानना बहुत जरूरी है,इस बुद्धि-कौशल कला को,जानना बहुत जरूरी है।शब्द तीर हैं कमान हैं,देते हैं घाव गहरा … Read more

रस्मों की जकड़ से दूर

ऋचा सिन्हानवी मुंबई(महाराष्ट्र)************************************* ये रस्मों का मकड़ जालआडम्बर से भरपूर,नाम पर जिसके यहाँमानवता होती चकनाचूर। रस्मों के नाम परडूबते उतराते रिश्ते,ख़ामख़ाह ढो रहेकसैले पड़े रिश्ते। रस्मों की नियमावली सेआहत हैं परम्पराएँ,ढूँढ रहीं अस्तित्व अपनाधूमिल हुई दिशाएँ। इन रस्मों को तोड़ करएक आसमान तलाशना है,क़ैद आकांक्षाओं कोमंज़िल तक पहुँचाना है। रस्मों के नाम परबिखरती हैं आशाएँ,कभी … Read more