नयन
शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** नयन-नयन की जब हुई,आपस में टकरार।उठा ज्वार उर उदधि में,फूट पडे़ उद्गार॥ नयन नशीले मद भरे,लब ज्यों सुर्ख पलाश।कंचन काया पर चढ़ा,यौवन का मधुमास॥ नयन-नयन में…
शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** नयन-नयन की जब हुई,आपस में टकरार।उठा ज्वार उर उदधि में,फूट पडे़ उद्गार॥ नयन नशीले मद भरे,लब ज्यों सुर्ख पलाश।कंचन काया पर चढ़ा,यौवन का मधुमास॥ नयन-नयन में…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** ये बसंत का मौसम आया,पर साजन अब तक नहीं आये,तारे गिन-गिन रात गुजारुँ,नींद नहीं पलभर भी आये।राह तक रही थी साजन की हर पल-हर छिन सांझ-…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ अब दे दो अपना आशीष हे भगवन,अत्याचार जगत का सहा न जाए। तेरा ही यह रचा हुआ सब,माया का संसार है,छल-कपट से बचने का कहो क्या…
डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)*************************************** महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… सृष्टि का आधार,प्रकृति की पुत्री-नारी जो आकर्षक,स्नेहयुक्त, उल्लासदायिनी है,अनंतकाल से ही साहित्यकारों की लेखनी में चित्रित होती रही है। आँचलिक उपन्यासकार फणीश्वरनाथ…
दिनेश कुमार प्रजापत 'तूफानी'दौसा(राजस्थान)***************************************** गीतों का मल्हार लिए,फूलों का श्रंगार लिए।खिल गए फूल अनन्त,आ गया देखो प्यारा बसंत॥ फूलों से खेत हो रहे हरे-भरे,पक्षी गीत गा रहे भावना भरे।नर-नारी और…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************** मौलिक अधिकार राज्य के अपने नागरिकों के प्रति कर्तव्यों को दर्शाता है,वहीं मौलिक कर्तव्य राज्य के नागरिकों से यह अपेक्षा करता है कि वे भी…
हिंदीभाषा डॉट कॉम ने तीसरी वर्षगाँठ पर किया १२ रचना शिल्पियों को सम्मानित इंदौर (मप्र)। सरकार की तरफ से हिंदी के विकास के लिए हिंदी सम्मेलन आयोजित कराने सहित और…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** मन वेदना आधार जीवन की बने,जख़्मो-सितम उपहार में हमदम मिले।अहसास बस जो जिंदगी के मायने,शागिर्द बन दिलदार बनकर जी रहे। दर्द गुजरे गुमशुदा बनकर…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* धरती है प्यारी हमें,यही हमारी मात।ये सबको ही पालती,स्वस्थ रखे हर गात॥स्वस्थ रखे हर गात,क्षमा आभूषण इसका।रखें साफ हम 'वात',धर्म हो यही मनुज का॥कहता कवि करजोरि,उदर…
रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ रचना शिल्प:मात्रा भार १८,१९,२१,१९ नज़रों का इशारा जो मिल गया,दिल मेरा बहारों-सा खिल गया।रौशन शमा रही रात रात भर-वो क़यामत थी,रूह से हिल गया॥ क़यामत नज़र जवाब क़रारा…