हूँ नन्हीं चिड़िया

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मैं हूँ नन्हीं सुंदर चिड़िया,वृक्ष एक आधार।मनुज छीनता आज देख लो,नित मेरा घर बार॥ जब-जब नीड़ बनाती हूँ मैं,घर जाता है टूट।धन का लालच हृदय बसाकर,चैन…

Comments Off on हूँ नन्हीं चिड़िया

काश! लहर ही होती…

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** डूबती,उतरती विशाल सागर की तरंग में,झूमती,बावली बन चूमती आसमां कभीबिखर-बिखर जाती सागर की लहर-लहर में,किनारे की कभी तमन्ना ही ना होती। अठखेलियाँ करती नन्हीं-नन्हीं बूंदों से मिल,नाचती जल…

Comments Off on काश! लहर ही होती…

‘कोरोना’ काल: विद्यार्थी,शिक्षण व्यवस्था और छुट्टी

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)************************* 'कोरोना' महामारी अब लगभग खत्म हो गई है,पर यह सभी विद्यार्थियों को अलग-अलग तरह से पढ़ने के तरीके सिखा गई। इसके पहले विद्यालय में ही बच्चे…

Comments Off on ‘कोरोना’ काल: विद्यार्थी,शिक्षण व्यवस्था और छुट्टी

कुछ बोल न पाए

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* सोना खेतों ने उगला जब,ठीक तरह हम तोल न पाये।माना बेईमान हुए वो,हम भी तो कुछ बोल न पाये॥ खेती का वरदान मिला था,हम धरती के…

Comments Off on कुछ बोल न पाए

ऐ ख़ुदा

ऋचा सिन्हानवी मुंबई(महाराष्ट्र)************************* बड़ी रौनक़ है तेरे आशियाने में ऐ ख़ुदा,कहीं सूरज कहीं चाँद तो कहीं सितारे हैं।गुंजायमान है तेरा बगीचा ऐ मेरे ख़ुदा,पंछियों का कलरव,कहीं भँवरे गुनगुनाते हैं।बड़ा सुनहरा…

Comments Off on ऐ ख़ुदा

थे वह बहुत बड़े इंसान…

दिव्यांशा ठाकुरगोड्डा (झारखंड)************************************* थे वह बहुत बड़े इंसान…कर्म थे उनके बहुत महान। देश के लिए किए ढेरों काम….'मिसाइल मैन' था उनका नाम। थे वैज्ञानिक बहुत बड़े वह…उनका था जग में…

Comments Off on थे वह बहुत बड़े इंसान…

जैसी करनी वैसी भरनी

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* आज आदमी अनगिनत चेहरे लगाये हज़ार है,ना जाने कैसा चलन आ गया व्यवहार है।मूल्य अवमूल्यन शब्द कोरे किताबी हो गये-अंदर कुछ अलग कुछ आज आदमी बाहर है॥…

Comments Off on जैसी करनी वैसी भरनी

बसंत

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** मिटाए वेदना चित की,उसे हम संत कहते हैं।कला जीने की सिखलाए,उसे सदग्रंथ कहते हैं॥कहीं पतझड़,कहीं मधुवन,ये तो बस ऋतु प्रवर्तन है,जान मुर्दे में जो फूंके,उसे बसंत कहते…

Comments Off on बसंत

आए जब ऋतुराज बसंत

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** आए जब ऋतुराज बसंत,सुंदर सजग भूमि अत्यंत। हरी-भरी फसलें लहरातीं,चिड़िया मीठे गीत सुनातीं। महक धरा पर सुंदर मोहत,बड़ी अनोखी सुषमा सोहत। पुष्पों की जो…

Comments Off on आए जब ऋतुराज बसंत

राम रसायन

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय **************************************** राम हैं जिंदगी राम का नाम लो,राम हैं बंदगी राम का नाम लो। राम से ही धरा अग्नि आकाश है,राम से ही हवा नीर का…

Comments Off on राम रसायन