मेरे पिता
अनशिका गणनायककटक(ओडिशा)************************************* घर में होते हैं वो इंसान,कहते हैं पापा उन्हेंबरगद की गहरी छाँव है,मेरे पिता। जिंदगी के शरीर पे,घने साए जैसेमेरे पिता,सबकी खुशियों का ध्यान रखतेपरिवार के लिए समर्पित…
अनशिका गणनायककटक(ओडिशा)************************************* घर में होते हैं वो इंसान,कहते हैं पापा उन्हेंबरगद की गहरी छाँव है,मेरे पिता। जिंदगी के शरीर पे,घने साए जैसेमेरे पिता,सबकी खुशियों का ध्यान रखतेपरिवार के लिए समर्पित…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* नयी मंजिलें हैं नये काफिले हैं।सभी दूर राहों में उलझे मिले हैं॥ यही है वो बस्ती जहां से चले थे,वहीं एक घर में सभी हम पले…
सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश)**************************** इक शगुफ़्ता ह़सीं 'गुलाब' है तू।मेरी 'आँखों का इन्तेख़ाब है तू। जिसका हर ह़र्फ़ ह़र्फ़े उल्फ़त है,जानेमन 'वो खुली किताब है तू। फूल,कलियों में,चाँद,तारों में,यह 'ही…
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* करूँ वंदना शारद माँ की,करती हूँ यह आस।नेक सृजन का पथ हो माता,भर दो नव विश्वास॥ जनहित का उद्धार करे हम,सृजन गढ़े अनमोल।शब्द शब्द में सार…
ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** दीन-हीन की दलित पतित की,पीड़ा का वो दर्पण था,और उन्हीं की खातिर उनका,सारा नेह समर्पण था।निर्मल मन था दुर्बल तन था,तन पर एक लंगोटी थी-शेष रहा जो…
आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* सूरज की किरणें आई हैं,संग नई खुशियां लाई हैंकली कुंज में मुस्काई है,विहग वृंद मंगल गाई हैजग ने नवजीवन पाई है,उठो! नूतन प्रभात…
ललित गर्गदिल्ली ************************************** प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भले ही प्राथमिकता से सरकारी कामकाज की शैली में पारदर्शिता,तत्परता और ईमानदारी की वकालत की हो,लेकिन आज भी सरकारी कार्यशैली लापरवाह,अनुशासनहीन,भ्रष्ट एवं उदासीन…
राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ***************************************************** सत्य है भाई साथी अपना,पर लोग धन के साथ हैंजिसके पास न होता धन,कोसता सत्य दिन-रात हैसमय-समय की बात है। सत्य है जग में सबसे…
डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)************************* हमारे धर्म,पुराण,साहित्य प्रेम की अनेक कथाओं एवं उपाख्यानों से भरे पड़े हैं। हमारी युवा पीढ़ी अपने समृद्धशाली आदर्शों को छोड़कर भटकती फिरती है। भौतिकता ने ऐसा…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ पूजा डाली ले के गौरा,चली चुपके-चुपके,अम्मा-बाबा देखे ना,सखी के संग मिल के। डाली भर बेलपत्र,ली है थाली भरी भांग,लेकर उम्मीद चली है शिव भरेंगे मांग। पार्वती…