ये भारत प्राण हमारा है
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:मात्रा १६+१४=३० जन्म भूमि ये कर्मभूमि ये भारत प्राण हमारा है,जिस मिट्टी में बचपन खेला उस पर तन-मन वारा है।जिस आँचल की छाँव के तले…