पर्यावरण सुधार ही में है मानव कल्याण

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** पर्यावरण दिवस विशेष…. यह तो हम सभी जानते हैं कि जल,वायु,पृथ्वी, अग्नि और आकाश इन पाँचों तत्वों से ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है,यानि इन पाँचों तत्वों का समावेश न केवल हमारे स्थूल शरीर में है,बल्कि प्रकृति भी इन सभी पाँचों तत्वों से ही बनी है। सीधा अर्थ है।कि,जंतु,पेड़-पौधे और हम … Read more

अभी जागे नहीं तो…

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* पर्यावरण दिवस विशेष…. धरा पर पेड़ पौधों का सजा जो आवरण है।मिला नदियों से हमको स्वर्ग का वातावरण है। न डालो मैल नदियों में न काटो पेड़ मानो,विषैले रोग को सीधा बुलावा यह वरण है। अभी जागे नहीं तो नस्ल का नुकसान होगा,सभी बीमारियों का मूल ही पर्यावरण है। सभी ये … Read more

साइकिल लेकर छोड़ने चल दिए…

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. बचपन में सभी लोग अपने पिता जी की साइकिल पर अवश्य बैठे होंगे,उसी प्रकार मैं भी साइकिल पर बैठता था। आज के जमाने में बच्चे अपने पापा की मोटरसाइकिल और कार में ही बैठ कर पार्क जातेहैं। उस समय पापा मुझे अपनी पतली टायर वाली साइकिल … Read more

खूब मजे करते थे हम

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. एक पुरानी साईकिल थी,खूब मजे करते थे हम।लिये पिता जी जब छोटे थे,चलने से डरते थे हम॥ आज इसे हम रखें सहेजें,अपने घर के आँगन में।कभी बेचने की नहिं सोची,पल भर भी अपने मन में॥भाई-भाई कभी झगड़ते,चाहत में मरते थे हम।एक पुरानी साईकिल … Read more

नवल छंद ‘विज्ञात सवैया’ और ‘कोविद सवैया’ को दी मान्यता

सरगुजा (छग)। कलम की सुगंध छंदशाला मंच पर संस्थापक गुरूदेव संजय कौशिक विज्ञात द्वारा विज्ञात सवैया और छंदशाला परिवार से परमजीत सिंह कोविद द्वारा कोविद सवैया नवल छंद निर्माण किया गया है। यह उनके स्व नाम से जाना जाएगा,जिसे छंदों में सम्मिलित करने की अनुमति दी गई है।इस कार्यक्रम के अध्यक्ष अर्णव कलश एसोसिएशन की … Read more

जिंदगी की रेलगाड़ी..

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** जिंदगी की रेलगाड़ी,उम्मीदों की पटरी पर चल पड़ीआशाओं के ईंधन से भरी,सपनों के शहर चल पड़ी। जिंदगी की रेलगाड़ी,रिश्तों के डिब्बों को जोड़करप्यार का टिकट संजो कर,विश्वास के हमसफ़र संग दौड़ चली। जिंदगी की रेलगाड़ी,मुश्किलों की डगर से गुजरबिना डरे हर्षोल्लास की खोज में,तेज रफ्तार से आगे निकल पड़ी। जिंदगी की … Read more

कुछ तो है बाकी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ ‘अभी कुछ तो है बाकी’,जब देखा,बुजुर्ग दंपत्ति को‘भविष्य-निधि’ बचाते हुए,बंध गई,गई एक आस जीवन में!कि-अभी कुछ तो उम्मीद है बाकी।‘वेणी’ को बालों में लगाती हुई स्त्री,को देख कर लगा,जैसे अभी भी पूरी तरहपश्चिमी सभ्यता में हम नही रंगे,अभी भी थोड़ी,सभ्यता है बाकी।पोते के विदेश जाने,पर दादाजी के चरणों में झुकना!लगा,अभी ‘मूल्य’ … Read more

पर्यावरण शुद्ध हो

निशा गुप्ता देहरादून (उत्तराखंड) ********************************** पर्यावरण दिवस विशेष….. प्रकृति विक्षोभ करे,संताप ये धरा भरेवर्षा न चाहिए जब,मेघ घिर आते हैं। फसलें ख़राब हुई,ओला वृष्टि जब हुईबिन मौसम बरखा,कृषक रो जाते हैं। वृक्ष सारे काट दिए,प्राण वायु नष्ट किएओज़ोन परत टूट,विष को बढ़ाते हैं। पर्यावरण शुद्ध हो,प्रयत्न भी विशुद्ध हो।प्रदुषण मुक्त देश,मिल के बनाते हैं॥ परिचय–निशा गुप्ता … Read more

दिल में यही मलाल

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** दिल में जाने उठ रहे कैसे हैं ये सवाल,हैं दिल के जो धनवान बनाया उन्हें कंगाल। दौलत से नवाज़ा उन्हें दिल‌ क्यों नहीं दिया,कैसा ये तेरा न्याय है दिल में यही मलाल। ये बेशुमार खाना जो सड़कों पे फेंकते,उसके लिए होता है ग़रीबों में फिर बवाल। मैं देखता हूँ रोज ही … Read more

विनाश की ओर कदम

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* पर्यावरण दिवस विशेष…… नदी-ताल में कम हो रहा जल,और हम पानी यूँ ही बहा रहे हैं,ग्लेशियर पिघल रहे और समुन्द्र तल यूँ ही बढ़ते ही जा रहे हैं।काट कर सारे वन,कांक्रीट के कई जंगल बसा दिये विकास ने-अनायस ही विनाश की ओर कदम दुनिया के चले ही जा रहे हैं॥ पॉलीथिन के … Read more