स्त्री वेदना को समझना होगा

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) ************************************************************** आज विकासवाद के युग में मानव यह सोचता है कि हमने चाँद पर अपना आशियाना बना लिया,समुन्दर की गहराईयों को नाप दिया है,पर आज भी स्त्री…

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जीवन का संग्राम बहुत है

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* द्वंद्व करूँ क्या अधम मृत्यु से, जीवन का संग्राम बहुत है। क्षण-क्षण आते आँधी-पानी, पल-पल उठते यहाँ बवंडर चाहें कि उपजाऊ बगिया, बनती रेगिस्तानी बंजर। कितने…

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रुदन

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* आज १५ अगस्त का दिन,आज भारत को आजादी मिली थी,पर आज का १५ अगस्त कुछ अलग-सा था,क्योंकि केन्द्र सरकार ने धारा ३७० को हटा दिया…

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जंजीर

डॉ.हेमलता तिवारी भोपाल(मध्य प्रदेश) ********************************************************** तुम नहीं मैं.... तुम नहीं,मैं इस कालजयी कृति सोफे पर बैठी हूँ, कुछ इस तरह जैसे- खुले ढक्कन के बॉक्स में बैठी बाहर झाँक रही…

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बसन्त

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** खेतों में इठलाई सरसों टेसू हँसते वन में, मुस्काए हैं बौर आम के खुशी नीम के मन में। पीपल की सूनी डाली पर फूट पड़े…

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आशिकी-ए-कयामत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जिंदगी के सफ़र में सजे ऐसे महफ़िल, खुशियों की तरंगें उठे दिल समन्दर, नज़ाकत मिलन की ख़ूबसूरत तराने, गूंजे आशियां में मुहब्बत के…

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शंका

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** शंका का वातावरण,फैल रहा संदेह। मन भी अपना ना रहा,ना ही अपनी देहll हर इक बेग़ाना लगे,टूट रही है आस। नहीं शेष अब है…

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सशक्त जो होती है स्त्री

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* तोड़ देती है, क्षमताओं की सारी सीमाएँ, अपने पर जब आती है, वक्ष में जीवन कंधों पर ज़िम्मेदारी, फिर स्त्री,स्त्री नहीं `वसुधा` बन जाती है।…

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ऋतुराज हैं आए

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* ख़्वाबों में मेरे कल फिर, ऋतुराज बसन्त हैं आए। मेरे काँधे पे सिर को रख के, हौले से वो मुस्कुराए। कहने लगे वो `लोचन`,…

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भारत माता..

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** ये देश सुहाना है। जितनी ये धरती, ये देश पुराना हैll ये देश न तोड़ो रे। अब तो गद्दारी, तुम करना छोड़ो रेll ये कब…

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