डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’
वाराणसी(उत्तरप्रदेश)
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पा तुझे मिलती खुशी अनमोल है।
मधुर रस में अति पगे प्रिय बोल हैंll
तू तमन्ना तू अपेक्षा अति सुघर,
तू ही मेरा स्नेहमय मधु घोल है।
बात करके प्राप्त जो निःशब्द वह,
रस भरा आनंद तू अनमोल है।
मन किया करता सदा नित बात हो,
बिन रुकावट बोल तू अनमोल है।
काश! हम दोनों का होता नित मिलन,
प्रेम में बहता तू मेरा बोल है।
दूर होकर भी तू रहता हृदय में,
हृदय की आवाज तू अनमोल है।
हृदय में जो बस गया वह हो गया,
तू ही मेरे आत्म का भूगोल है।
है यही अनुभव तू मेरा हृदय है,
हृदय के मझधार में तू डोल है।
डोलता हूँ मैं तुम्हारे मध्य में,
स्वर्ग से भी उच्च तेरे बोल हैं।
ध्यान है तू चित्त है अरमान है,
ज्ञानदायक मधुर भावन बोल हैं।
मध्य दोनों के नहीं आयेगा कुछ,
मेरे तेरे बीच नहीं कुछ पोल हैll