नेपाली राजनीति अधर में

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* नेपाल की सरकार और संसद एक बार फिर अधर में लटक गई है। राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने अब वही किया है,जो उन्होंने पहले २० दिसंबर को किया था,याने संसद भंग कर दी है और ६ माह बाद नवंबर में चुनावों की घोषणा कर दी है। याने प्रधानमंत्री के.पी. ओली को कुर्सी में … Read more

सकारात्मकता का संचार करे,ऐसे साहित्य का सृजन करें

लोकार्पण…… इंदौर (मप्र)। वर्तमान ‘कोरोना’ दौर में लोगों में इस महामारी को हराने का जज़्बा पैदा करें ऐसे साहित्य की समाज को जरुरत है। नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता का संचार करे,ऐसे साहित्य का सृजन करें।यह बात डॉ. बूलाकार ने डॉ.स्वाति सिंह की पुस्तक ‘शब्द विहीन’ कविता संग्रह के अखंड संडे द्वारा आयोजित ऑनलाइन लोकार्पण … Read more

बचा रहे अस्तित्व

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** बचा रहे अस्तित्व स्वयं का,पड़ी सभी को अपनी-अपनीहम एक-दूजे से सभी जुड़े,साथ-साथ रह जिंदगी कटनी। मेल-जोल जब सब सोच रखें,‘मैं’ की पोटली खोल भी दे‘हम’ की प्रेम धार बहे तो,सहअस्तित्व तुला तोल भी दे। सुख-दु:ख नित साथ हो जाते,दुःख हो जाते आधे-आधेमानव जीव प्रकृति सब पूरक,मिल रह ना,जा भागे-भागे। मेरा अस्तित्व तू बचा … Read more

वर्तमान में नैतिकता की बहुत आवश्यकता

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)************************************** यह संतोष और गर्व की बात है कि देश वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षेत्र में आशातीत प्रगति कर रहा है। विश्व के समृद्ध अर्थव्यवस्था वाले देशों से टक्कर ले रहा है और उनसे आगे निकल जाना चाहता है, किंतु प्रगति के इस उजले पहलू के साथ एक धुंधला पहलू भी है,जिससे हम छुटकारा चाहते … Read more

प्रेम की बजने लगी शहनाई

सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* निर्दयी ‘कोरोना’ रूप विकट चहुँ दिशि दिखे उत्पात,लॅाकडाउन है दुःख,कृन्दन अब मानव तन पर आघातमैं पूर्व भ्रमण स्मृतियों में डूबा हुआ था आज,हे गिरिधर यशोदा नंदन कर सुख- शांति का प्रभात। भ्रमण को मुझको शौक बड़ा गया था हरिद्वार,मसूरी,रशियन के संग हो छवि मेरी,इच्छा हो गई तब पूरीअंदाज निराला था उसका … Read more

मासूम माँ

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ अपने जब शत्रु हो जाते हैं,वो बड़े भारी पड़ जाते हैं।हारना तो निश्चित हो जाता हैहम बहुत बेबस हो जाते हैं।घर-घर महाभारत चल रही है,आज भाइयों के साथ-साथ,बहू भी सास को छल रही है,जो हम कमाए बरसों-बरस से-बहू एक दिन में छीन रही है।क्यों बहू को सास नहीं सुहाती,वही तो बहू को ब्याह … Read more

संग्रह का निहित स्वार्थ छोड़ना होगा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************** आज संसार में मानवीय मृगतृष्णा सागरवत मुखाकृति को अनवरत धारण करती जा रही है। एतदर्थ मनुष्य साम,दाम,दंड,भेद,छल,प्रपंच, धोखा,झूठ,ईर्ष्या,द्वेष,लूट,घूस,दंगा,हिंसा,घृणा और दुष्कर्म आदि सभी भौतिक सुखार्थ आधानों को अपना रहे हैं। सतत् प्राकृतिक संसाधनों, जैसे-भूमि खनन,वन सम्पदा का कर्तनt,पहाड़ों को काटना,नदियों का खनन एवं समुद्रों को भी प्रदूषित करने से मनुष्य … Read more

मानव हूँ

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मैं मानव हूँ स्वार्थ धरें नित,करता काम।कभी न सोचूँ अहित काज का,निज अंजाम॥ लोभ मोह में फँसता जाता,मैं अज्ञान,दीन-दुखी को बहुत सताया,बन अनजान।पीछे मुड़कर पीर न देखी,बढ़ता नाम,मैं मानव हूँ स्वार्थ धरें नित,करता काम…॥ चले नहीं जोर अमीरों पर,डरता खूब,लख गरीब कर्जे में अक्सर,जाते डूब।नहीं आंकलन किया स्वेद का,देता दाम,मैं मानव … Read more

लम्हें…

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** गुजरा हुआ हर पल लम्हा बन जाता है,हर लम्हा यादों का बसेरा बन जाता है। कभी-कभार हँसाता है,तो कभी रूला भी देता है,कुछ को भुला देते हैं,तो कुछ नए एहसास भी जगा देता है। लम्हों की धूप-छाँव जीवन भर गुनगुनाती है,कभी मोहब्बत तो कभी नफ़रत भी सिखा देती है। गुजरा हर … Read more

आचार्य द्विवेदी का संपूर्ण साहित्य मानव की प्रतिष्ठा का प्रयास

डॉ. दयानंद तिवारीमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************ जिसमें सारे मानव सभ्यता को सुंदर बनाने की कल्पना की जाती है,उसे ही तो साहित्य कहते हैं। साहित्य की हर महान कृति अपनी ऐतिहासिक सीमाओं का अतिक्रमण करने की क्षमता रखती है। अपनी संस्कृति के स्मृति संकेतों,मिथकों और भाषाई प्रत्यय से गुजरते हुए हर कविता,हर निबंध,हर उपन्यास मनुष्य के समग्र और … Read more