तुम्हारे नाम लिख दूँ मैं

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* काव्य संग्रह हम और तुम से.... कहो तो जिन्दगी अपनी,तुम्हारे नाम लिख दूँ मैं।जमाने की सभी खुशियाँ,तुम्हारे नाम लिख दूँ मैं। चले आओ हमारे पास…

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आरंभ तुम ही

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)************************************************ काव्य संग्रह हम और तुम से... मेरी नज़र ठहर जाती है,जब अक्स तुम्हारा आता है।दिल की धड़कन रुक जाती है,जब ज़िक्र तेरा आ जाता है। थम जाऊं…

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कैसे संभालूँ खुद को

अमृता सिंहइंदौर (मध्यप्रदेश)************************************************ काव्य संग्रह हम और तुम से..... मन मेरा…जैसे सूर्य की तपिश।स्पर्श तेरा…जैसे बरखा की नमी। गुफ़्तगू तेरी-मेरी,मिट्टी की जैसे सौंधी खुशबू।तेरा होना मुझसे रूबरू…अकल्पनीय अदभुत…जुगनू। कैसे सँभालूँ…

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पाऊँ तेरा प्यार

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से.... पावस में मन मेरा कहता,पाऊँ तेरा प्यार।तरस रहें हैं नयना मेरे,देखो यह श्रृंगार॥ पावस मेरा हृदय जलाती,आओ प्रियवर साथ।हृदय भाव…

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ऐ इश्क़ वहीं ले चल हमें

अंजु चौधरी 'अनु'करनाल (हरियाणा) ****************************************** ऐ इश्क कहीं ले चल हमें,जहाँ कल्पनाओं का संसार होजहाँ इक नूर की वादी हो,इक ख्याब की दुनिया काबसेरा हो,जहाँ उम्र का न कहर हो।ऐ…

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खिल उठता है वन

अर्चना पाठक निरंतरअम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)*********************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से.... सड़कों,बागों और घाटियों में,उदास पत्ते झड़ने लगे,मैं अकेली मन अजीब,उदास मौसम बदलने लगे।बेचैन बाँसुरी की मुखर अभिव्यक्ति अमूर्त बिम्ब उकेरते,मन के निर्मल…

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प्रणय गीत

अनुराधा पाण्डेयनई दिल्ली***************************** काव्य संग्रह हम और तुम से..... नैन भर बस बोलते थे,पावनी थी प्रीत कितनी ?मौन हम भी,मौन तुम भी॥ एक-दूजे को बसाए,नित रहे द्वय धड़कनों में।कल कहेंगे,कल…

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नववर्ष में कोरोना से मुक्ति

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ आया है नववर्ष यह,लेकर खुशी हजार।कोरोना आतंक से,हो जाएंगे पार॥ बन आई वैक्सीन अब,सफल परीक्षण आज।टीके लगवा कर सुखी,होंगे अब सब काज॥ नए वर्ष की ये…

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जै श्री कृष्ण

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)*********************************************** कृष्ण धूप,कृष्ण छाँव,कृष्ण फूल,पात हैं।कृष्ण श्वाँस,कृष्ण नैन,कृष्ण मनुज गात हैं॥ कृष्ण भोर,कृष्ण शाम,कृष्ण भानु,इंदु हैं।कृष्ण व्योम,कृष्ण धरा,कृष्ण जगत बिंदु हैं॥ कृष्ण सखा,कृष्ण भ्रात,कृष्ण मातु,तात हैं।कृष्ण नीर,कृष्ण क्षीर,कृष्ण…

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घुंध ने धरती ढकी

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आढ़ती के जाल में क्यों पूत धरती के जड़े हैं।धुंध ने धरती ढकी है,मेघ औंधे मुँह पड़े हैंll वो भला कैसे पढ़ेंगे पेट का भूगोल मेरा,आढ़ती…

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