स्वार्थियों से जंग कब तक

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** मेरी डायरी से......भाग-१ मेरा जीवन शीशे की भांति साफ है। बचपन से ही जो मन में होता है,वही बाहर होता है। मैं…

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खून की होलियाँ

मनोज कुमार ‘मंजू’ मैनपुरी(उत्तर प्रदेश) **************************************************************************** आज देश महफूज कहाँ है अपने ही गद्दारों से, सीमा पर तो रण कर लेंगे,निपटें कैसे खोटों से। कौन कहे इन हैवानों की करतूतें…

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कैसे खेलें होली…

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* होनी थी जो वो तो होली,कैसे खेलें फाग होली, गिरगिट रंग लेकर सभी दल खेल रहे हैं आज होली। रक्त रंजित वीर अरि से खेल…

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उन्मुक्त कविताओं का संसार है ‘मुक्त तरंगिणी’

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’ गोरखपुर(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************************** पुस्तक समीक्षा....................... प्रखर गूँज प्रकाशन द्वारा प्रकाशित साझा संग्रह की श्रृंखला के अंतर्गत पूरन भंडारी सहारनपुरी द्वारा संकलित पुस्तक मुक्त तरंगिणी एक ऐसा काव्य संग्रह…

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वीर शहीदों को नमन…

डॉ.जयभारती चन्द्राकर भारती गरियाबंद (छत्तीसगढ़) *************************************************************************** वीर शहीदों की शहादत, कैसे हम भूल पायेंगे श्रद्धांजलि,श्रद्धासुमन अर्पित कर, ऋण कैसे हम चुकायेंगेl अतुल्य निधि देश के वीर जवान, सरहद पर नज़र टिकायेंगे…

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होली समरस का त्यौहार

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** आया है खुशनुमा त्यौहार, द्वेष घृणा स्वार्थ विकार समन्वित धर्म जाति भाषा विभेद सभी का, होलिकाग्नि में होता है संहार। महाविजय का परिचायक,…

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साहित्यकार ‘कल्पेश` को फणीश्वरनाथ रेणु सम्मान

दिल्लीl साहित्य संगम संस्थान(नई दिल्ली) के बोली विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत क्षेत्रीय बोली संवर्धन हेतु ३ मार्च २०१९ को कवि सम्मेलन आयोजित किया गयाl इसमें साहित्यकार और हिन्दीभाषा डॉट कॉम…

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मैं बंजर में गुल

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** मैं बंजर में गुल को खिलाने लगा हूँl जमीं आसमां को हिलाने लगा हूँl मैं पीता नहीं था कभी शौक से भी, कि सोहबत…

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होली में उड़े गुलाल

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* उड़े गुलाल रंग हुआ लाल, होली का सुखद त्योहार पीली सरसों नारंगी पलाश, भूले मलाल भूले मलाल आज है ख़ुशी विशाल, उड़े गुलाल…

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कवि डॉ. गर्ग ‘विज्ञ’ को दिया ‘नीलकंठ’ सम्मान

दिल्ली। साहित्य संगम संस्थान(नई दिल्ली) द्वारा शिवरात्रि के पर्व पर आनलाइन काव्य गोष्ठी की किया गई,जिसमें भक्त कवियों द्वारा शिव महिमा पर काव्य पाठ किया गया। इस दौरान अनेक कवियों…

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