होली के सात रंग

विश्वम्भर पाण्डेय  ‘व्यग्र पाण्डे’ गंगापुर सिटी(राजस्थान) ******************************************************************************** होली का नाम लेकर उसने छुआ मुझे, स्पर्श में पर उसके होली कोसों दूर थी। वो मुस्करा के रंग लगाकर चला गया, रंग…

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नजरों का मिलना

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ जबसे मिली है,तुमसे नजरें, तब से न जाने,क्या हो गया। अब तो आँखें भी,शर्माने लगी। किसी और से,नजरें मिलाने को॥ तेरे इंतज़ार में,एक उमर हो गई,…

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परीक्षा

हेमलता पालीवाल ‘हेमा’ उदयपुर (राजस्थान ) *************************************************** यह जीवन भी एक परीक्षा है, हर रोज होती यहाँ परीक्षा है। इस दुनिया को रोशन करने में, सूरज की होती नित्य परीक्षा…

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अभिनंदन

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मेरे देश का वीर सिपाही, मेरे माथे का चंदन। 'अभिनंदन' का अभिनंदन, है शत-शत बार नमन। आने से महका गुलशन, झूम उठा गगन। अभिनंदन का…

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बचपन

हरीश बिष्ट अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) ******************************************************************************** बचपन तो बचपन ही था, बचपन को जाना था कब। जब रखा कदम जवानी में, बचपन को समझा है अब॥ बचपन को समझा है अब,…

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पिता

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२) सजीवन प्राण देता है,सहारा गेह का होते। कहें कैसे विधाता है,पिताजी कम नहीं होते। मिले बल ताप ऊर्जा भी,सृजन पोषण सभी…

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धीरे-धीरे ही सही..

शिवम द्विवेदी ‘शिवाय’  इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** धीरे-धीरे ही सही पर चलते तो रहिये, करके कुछ पाना अगर हो,कुछ न कुछ करते तो रहिये। हार न मनो तुम गम से,करो सामना…

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बड़े दम का ‘पट्ठा’

सुनील चौरे ‘उपमन्यु’  खंडवा(मध्यप्रदेश) ************************************************ 'पट्ठा' याने प्रत्येक काम में दक्ष, जी हाँ,जो हास-परिहास,चतुराई से अपना काम निकलवा ले या फिर अपना काम करवा ले,मेरे ख्याल से उसी का नाम…

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नारी अब अबला नहीं

संतोष भावरकर ‘नीर’  गाडरवारा(मध्यप्रदेश) *********************************************************** नारी मर्यादा की मूरत है, करुणामई जिसकी सूरत है बहिन का अनमोल प्यार है, पत्नी के रूप में संसार है। नारी को न समझो, तुम…

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अभिनंदन करते तुमको

विजयलक्ष्मी जांगिड़ ‘विजया’  जयपुर(राजस्थान) ***************************************************************** अभिनन्दन करते तुमको, चक्रव्यूह में खड़े अकेले। हम वन्दन करते तुमको, अभिमन्यु से लड़े अकेले। भेद रावण की कलुषित लंका, हनुमान तुम जय,अकेले। अंगद से,जा…

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