हाहाकार करें दुराचारी

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** तीर चलाए अर्जुन,विजयश्री लिखते मुरारीऐसा चक्र चलाओ गिरधारी,हाहाकार करें दुराचारी…। धूर्त कपटी व्यूह रचते,सज्जनता को प्रतिपल छलतेविश्वास उठ रहा जन का मोहन से,फिर कर्ण मिल बैठा दुर्योधन…

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अंगना पधारे शिव बाबा

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** अंगना पधारे शिव बाबा जी,मेरे अंगना पधारे,भोले भंडारीहाथ कमंडल त्रिशूल लिए जी,डम-डम डमरू बजाए भोले जी। सावन की काली बदरिया छटा,गंगा मैया हिलौरे लेती छाई…

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तुम ही मेरी आस, मेरी प्रीत

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* मैं तेरे कदमों की आहट को जान लेती हूँ,तुझे ऐ ज़िंदगी, मैं दूर से पहचान लेती हूँ। तुम ही मेरी आस, मेरी प्रीत, मेरी जीत…

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सतगुरु गुण मुख कह्यो न जाए

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** सतगुरु गुण मुख कह्यो‌ न जाए।गुरु निष्ठा जिसने मन धारी,वो‌ ही परमेश्वर को पाए॥ गुरु ने जो प्रभु नाम दिया है,भव-तारण आधार दिया है।नेत्र…

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राष्ट्र-भाषा का दर्द

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** देश हमारा मानवता का है हमदर्द,सच, खरी-खोटी जो गर्मी में दे सर्दमन्दिर पंक्ति में लड़ने लगा एक मर्द,दक्षिण भारत संत के सिर में हुआ दर्द।…

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बोझा ढोते बुजुर्ग

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** अकेले पानी लाने काबोझा ढोते,जबकि इस उम्र मेंसहारे की जरूरत होती। मजबूर पिता को ही,सब काम करना होताबेटों को तो काम करने मेंशर्म महसूस होती। आधुनिक…

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निरंकुश अभिव्यक्ति से जुड़े सर्वोच्च फैसलों का स्वागत हो

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** सर्वोच्च न्यायालय ने अभिव्यक्ति की आजादी एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर समाज विरोधी अभिव्यक्ति की सुनवाई करते हुए समय-समय पर जो कहा, वह जहां संवैधानिक और लोकतांत्रिक…

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हरियाली भा रही

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* हरियाली सावन की मन को भा रही है,हरियाली सावन की मन को लुभा रही है। हरियाली के गीत गा रहा है पावस,नदियाँ-नाले बह रहे हैं‌ हँस-हँस।धरती…

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बरसे श्यामल घन

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** बागों में पिक के बोल,कोयल भी कण्ठ खोलअपने मधुर गीत,सबको सुनाती है। बरसे श्यामल घन,घबराये मेरा मनसाजन भी परदेश,रैन नहीं सुहाती है। कैसे समझायें हम,कैसे बतलाएँ हमसखियाँ…

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रिश्तों को लीलता खोखला ‘स्वाभिमान’

ऋचा गिरिदिल्ली*************************** कहाँ खो गया रिश्तों से प्रेम…? एक पिता ने अपने ही 'स्वाभिमान' की हत्या कर दी, अपने स्वाभिमान के लिए फिर और स्वाभिमानी बन गया हमेशा के लिए!पिता…

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