आम आदमी

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* आम आदमी नित सुख का ढूँढ़ता आकाश,धरती पर नित करता जीवन के लिए प्रयासपरिवार उसका संसार औ नीड़ है संवारता,छोटे या बड़े हों स्वप्न अनेक,…

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सबब

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* मिलने के लिए सबब हो,ये जरुरी नहींमिले नहीं हर तो दूरियाँ बढ़ जाएंगीये ज़रूरी नहींसुख-दु:ख की बातें बाटंने के लिए गुफ़्तगूतो ज़रूरी नहीं…। अकेले ही जिदंगी…

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सपना सीपी साहू ‘स्वप्निल’ की ‘पर्वोत्कर्ष’ पुरस्कृत

इंदौर (मप्र)। 'विश्व पुस्तक दिवस' के उपलक्ष्य में मनोहर ग्रुप ऑफ कंपनीज एंड इंस्टीट्यूशंस (लखनऊ) द्वारा राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (साकेत, मेरठ) में राष्ट्रीय स्तर के माँ सरस्वती ज्ञानपीठ पुरस्कार-२०२२…

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कुछ गुम-सुम से हैं

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यहाँ जमाने की ठोकरों से,ज़िन्दगी परेशान हैकुछ भय से कुछ टूटते हुए रिश्तों से,परेशान हैं। खौफ है यहाँ,रास्ते बन्द हो गए हैं यहाँडर और भय का माहौल है यहाँ,कुछ…

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अच्छे की दरकार

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* जनता को तो है फक़़त, अच्छे की दरकार।चाहे जिसकी भी बने, इस बारी सरकार॥ कण-कण जब है जोड़़ता, तब बनता धनवान।क्षण-क्षण को श्रम से…

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ये प्रीत की डोर

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* तू एक छोर, मैं एक छोर,ये प्रीत की डोरन पड़े कमजोर,बंधे पुरजोर। तूफान मचाए कितना भी शोर,आंधी कर दे हमें झकझोरखिंचा चला आये मेरी ओर,झूमे जब…

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श्रमिकों से ही विकास

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* 'श्रमिक दिवस विशेष (१मई)' "श्रमिकों का सम्मान हो, हों पूरे अरमान।यही आज आवाज़ है, यही आज आह्वान॥"     अमेरिका में मजदूर दिवस शुरू होने के…

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कर्मानुसार फल भोगना तय

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** जैन दर्शन के अनुसार ईश्वर विश्व निर्माता नहीं है। यदि सृष्टि निर्माता होता तो, सब जीवों को समान बनाता, पर ऐसा नहीं हुआ और यह सृष्टि अनादि अनंत…

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बैठे-बैठे यूँ ही…

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** बैठे-बैठे यूँ ही,कभी अचानकजग सारा सूना-सूना-सा,पराया लगने लगता है। बैठे-बैठे यूँ ही,दिल को क्या हो जाता है ?मन की अवस्था विचित्र-सी,कितना भी कुछ करोबहलाना मुश्किल हो जाता है।…

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चाहूँ आसरा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** मजदूर हूँहूँ नींव का पत्थरमजबूर हूँ। चाहूँ आसराकरूँ महल खड़ेहूँ बेसहारा। मेरी बेबसीसोता रात को भूखागायब हँसी। कई योजनादूरी सदा सुख सेहूँ तरसता। कैसी सुविधा!सड़क ही जीवनखत्म…

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