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सबब

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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मिलने के लिए सबब हो,
ये जरुरी नहीं
मिले नहीं हर तो दूरियाँ बढ़ जाएंगी
ये ज़रूरी नहीं
सुख-दु:ख की बातें बाटंने के लिए गुफ़्तगू
तो ज़रूरी नहीं…।

अकेले ही जिदंगी गुज़ारना है तो कोई साथ होना ज़रूरी नहीं,
वक्त गुज़ारने के लिए कोई बात हो
यह जरुरी नहीं…।

बग़ैर दोस्तों के जिंदगी अधूरी ही होगी,
ये जरुरी नहीं
दाम ऊँचे हो सकते हैं ख्वाहिशों के,
मगर खुशियाँ महंगी हो
ये ज़रूरी नहीं…।

जिंदगी गुजर जाए पर,
दोस्ती में कोई ख़ामी हो
ये ज़रूरी नहीं…।

चाहे पास हम हों ना हों,
आख़री साँस तक
याद रखना ये ज़रूरी है,
चलता रहे ये प्यारा दोस्ती का सफर
ये ज़रूरी है…।
दुआ करो कि, ये रिश्ता खत्म ना हो…
ये ज़रूरी है…॥

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