सावन के स्वर मधुरिम
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* सावन के स्वर मधुरिम रिमझिम बरसे घन घनघोर घटाएँ,सतरंगी पंखों से शोभित, खोल मोर चहुँ नृत्य दिखाए। दमक रही बिजुली चहुँ अम्बर, धमक गर्जना…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* सावन के स्वर मधुरिम रिमझिम बरसे घन घनघोर घटाएँ,सतरंगी पंखों से शोभित, खोल मोर चहुँ नृत्य दिखाए। दमक रही बिजुली चहुँ अम्बर, धमक गर्जना…
डॉ.शैलेश शुक्लाबेल्लारी (कर्नाटक)**************************************** हिंदी राजभाषा बनी, पर व्यावहारिकता से दूर,नियम किताबों में सजे, पर मन में कसक भरपूर। दफ्तर-दरबारों में बस, अंग्रेजी का ही राज,हिंदी जैसे भीख में, माँगे अपना…
भोपाल (मप्र)। अखिल भारतीय शांति-गया स्मृति साहित्य, कला एवं खेल सम्वर्द्धन मंच ने पंचम शांति-गया स्मृति अलंकरण के अंतर्गत निम्न कृति सम्मान हेतु कहानी, कविता व व्यंग्य विधाओं में जनवरी…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* रिमझिम बारिश,सौंधी खुशबूकाले बादल,कर दे पागल। बिजली चमके,दामिनी गरजेअंधेरी रातें,भय से काँपे। भीगे हम-तुम,नीले छतरी के नीचेउड़ जाएँ मन,इंद्रधनुषी सपने बुनकर। मेघा बरसे,मिलने को तरसेधरती और…
सोनीपत (हरियाणा)। कल्पकथा साहित्य संस्था द्वारा आयोजित साप्ताहिक आभासी काव्य संध्या, बाल साहित्य की निश्छल नटखटता और समसामयिक बौद्धिकता का अलौकिक संगम बनकर प्रकट हुई।विख्यात हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र…
भोपाल (मप्र)। अखिल भारतीय शांति-गया स्मृति साहित्य, कला एवं खेल सम्वर्द्धन मंच ने पंचम शांति-गया स्मृति अलंकरण के अंतर्गत निम्न कृति सम्मान हेतु कहानी, कविता व व्यंग्य विधाओं में जनवरी…
नई दिल्ली। हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की विरोधी नहीं है, बल्कि सभी भारतीय भाषाओं की मित्र है। किसी भी विदेशी भाषा का विरोध नहीं होना चाहिए, लेकिन हमें अपनी…
दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* कहाँ गया रिश्तों से प्रेम ?... 'रिश्ता' एक ऐसा शब्द है, जिसमें भावनाएं, आत्मीयता और समर्पण समाहित होता है, पर आज की भागती-दौड़ती ज़िंदगी में रिश्तों की…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* कहाँ गया रिश्तों से प्रेम ?... दिन कितने सुहाने थेवो बचपन की छुट्टियाँ,नानी, दादी, मौसी, मामाके घर मज़े से कटते थे। घर की शादी में भीढेर…
ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* छल-कपट और ईर्ष्या-द्वेष,बड़ा विकराल है इनका वेश। सब-कुछ कर देता है नाश,नही रह जाता कुछ भी शेष। बचकर रहना हर अवगुण से,सदाचार को अपनाना। अगर किसी से…