घमंड की हवा रिश्तों को उड़ाने लगी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** कहाँ गया रिश्तों से प्रेम…? कहाँ गयारिश्तों से प्रेम,जब देखा रिश्तों की मिठाई परदौलत का वर्क चढ़ने से,दौलत वाले लोगों कोमिठाई मिलने से,रिश्तों से प्रेम भाप…

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फूलों की महक निराली

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* नन्हे फूलों की फुलवारी,महक रही है डाली-डालीखिले बाग में सुमन निराले,कितने सुंदर, कितने प्यारे। महक उठा है उपवन सारा,हुआ गुलसितां महका न्याराफूलों से लद गई हर…

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कवि सम्मेलन संग किया पुस्तक पर विमर्श

मुजफ्फरपुर (बिहार)। शुक्रवार को रामेश्वर कॉलेज के सभागार में एनबीआई संस्था ने कवि सम्मेलन संग किया पुस्तक पर विमर्श कार्यक्रम किया। मुख्य वक्ता विधान पार्षद वंशीधर ब्रजवासी, डॉ. संजय पंकज,…

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कहीं देर न हो जाए…?

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* सोने की चिड़िया को तो छोड़ दो, शर्म और संस्कार की चिड़िया को भी उड़ा दे रही है ये अश्लील सीरिज और आजकल की अश्लील फिल्में।…

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दिल से निकली भाषा ही पाठकों को जोड़ती है-कुमार प्रशांत

विमर्श... मुम्बई (महाराष्ट्र)। जब मन में ईमानदारी हो तो भाषा भी दिल से निकलती है। दिल से निकली भाषा में जो आत्मीयता होती है, वह पाठकों को जोड़ती है। भाव…

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डॉ. सतीशराज ने लघुकथा की जड़ें मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई

पटना (बिहार)। लघुकथा की जड़ें बहुत गहरी हैं, और सतीशराज पुष्करणा ने इसे मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई।पटना के जगजीवन राम शोध संस्थान में शुक्रवार को लघु कथाकार डॉ.…

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बच्चों की बारिश

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** करते उत्पात,ठहाकों की बातज़ोरों की बरसात,मिली जैसे सौग़ात। लेकर हाथों में हाथ,भीगते साथ-साथलगाते मिट्टी माथ,दोस्तों का था साथ। बारिश जब आती,मस्ती रंग लातीवानर सेना बन जाती,खूब उधम…

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मंज़िल जरूर मिलेगी दोस्तों

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ हौसला मजबूत हो तो हरमुश्किल आसान होती है,हार के बाद जीत होती हैमंज़िल जरूर मिलेगी दोस्तों। जीवन की डगर कठिन हैउलझनों भरा यहाँ सफ़र है,हर…

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‘रंगभूमि’ को बताया सामाजिक असमानता का साहित्यिक दस्तावेज

पटना (बिहार)। जनवादी लेखक संघ, बिहार और जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा, बिहार के संयुक्त तत्वावधान में प्रेमचंद रचित उपन्यास 'रंगभूमि' के १०० साल पूरे होने पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया…

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रिश्ते रूपी पौधे में निरंतर छिड़कें प्यार और अपनापन

पी.यादव ‘ओज’झारसुगुड़ा (ओडिशा)********************************************** कहाँ गया रिश्तों से प्रेम…?... बड़ी अजीब-सी बात है। बात यदि रिश्तों की उठे तो, मन बड़ा मायूस हो जाता है। एक गहरी सोच में डूब जाता…

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