बदल गया इंसा
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* कैसा कलियुग आ गया, बदल गया इंसान।दौलत के पीछे लगा, तजकर सब सम्मान॥ बदल गया इंसान अब, भूल गया ईमानपाकर दौलत बन गया, मानो ख़ुद भगवान॥…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* कैसा कलियुग आ गया, बदल गया इंसान।दौलत के पीछे लगा, तजकर सब सम्मान॥ बदल गया इंसान अब, भूल गया ईमानपाकर दौलत बन गया, मानो ख़ुद भगवान॥…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** नभ भोर अरुण चहुँ ओर शोर,पशु विहग प्रकृति चितचोर मोर,हलधर किसान उठ लखि विहान,नव आश किरण मुस्काती है। चहुँ प्रगति भाव नव उषा काल,रवि…
मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** जो अपने हैं उनको ही, कुछ लोग इतना छलते,गिरगिट भी शरमा जाए, इतने जल्दी रंग बदलते। मतलब निकलने तक, ये कहते रहते मीठे बोल,ख्वाहिश पूरी ना…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* नहीं करता कभी भी बदज़बानी।वो जो इंसान होता खानदानी। धरातल पर उतारें योजनायें,नहीं बातें करें बस आसमानी। उठायें सोचकर ही हर क़दम अब,मुसीबत में…
इंदौर (मप्र)। नार्वे में भारत की भाषा हिंदी और यहाँ की संस्कृति को सम्मान दिया जाता है। दोनों देशों की संस्कृतियों को जोड़ने में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका है।यह कथन…
मण्डला (मप्र)। शासकीय कन्या महाविद्यालय में 'हिन्दी दिवस' पर प्राचार्य प्रो.(डॉ.) शरद नारायण खरे के मार्गदर्शन व डॉ.एस.पी. धूमकेती के संयोजन-संचालन में एक आयोजन परिसंवाद के रूप में हुआ। वक्ता…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** हिन्दी राष्ट्रभाषा मधुर मातृभाषा,न समझेंगे तब तक बढ़ेगी पिपासा। मिला न राष्ट्रभाषा का हिन्दी को मान,मधुर मातृभाषा कैसे पाए सम्मानऐ भारत के बेटों अब सोचो जरा-सा,न…
डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** पृथ्वी पर आन-बान और शान है,रक्षा कवच एक बड़ा अहसान है। हम पर्यावरण को सदैव तत्पर रहकर,स्वच्छ निर्मल और पवित्र रखें। जीवन की धरोहर की छेड़छाड़ से,हर पल हर…
डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* सालों-साल फरेबियों के बीचरहते रहे…हमें खबर तक न हुई,वो मोहरा बना शातिरताकरते रहे…हमें खबर तक न हुई।खबर हुई भी तो तब, जब,जिंदगी की शाम ढलने…
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** कहें सबसे सुगम हिन्दी सभी को देख भाती है।सदा तुलसी महादेवी सरिस का मान पाती है॥ युगों से देख हिन्दी ही रही साहित्य की भाषा।कभी कविता, कहानी बन…