जीवन-किश्ती तू ही मेरी…

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** मेरा साथ निभाना साथी,मैं संकट से उबर जाऊँगा।टूटा साथ अगर ये तेरा,मैं शीशे-सा बिखर जाऊँगा॥ तेरे दम पर साँसें चलतीं,तेरे दम पर पग बढ़ते हैं।तेरे दम पर रातें कटतीं,तेरे दम पर दिन ढलते हैं।जीवन-किश्ती तू ही मेरी,मैं उस पार उतर जाऊँगा। जीवन है तो संकट भी हैं,जीवन है तो गम भी घेरे।जीवन … Read more

आज का इंसान

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* कलुषित करता मानवता को,बन रहा हैवान।मध्य पाप के घिरता जाता,आज का इंसान॥ लोभ मोह का लालच रखकर,भूलता सब कर्म,बना रहा वर्चस्व झूठ पर,त्यागता सब धर्म।भाई का दुश्मन भाई है,व्यर्थ करता शान,कलुषित करता मानवता को,बन रहा हैवान…॥ सत्य पथ का त्याग है करते,कपट छल से वार,दीन-दुखी की दुखित व्यथा पर,घात बारंबार।वर्तमान कलुषित … Read more

प्रेम दीवानी मीरा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ***************************************** गीतों में मीरा का गायन,वंदन-अभिनंदन है।मीरा थी बस श्याम-दिवानी,जिसका अभिवंदन है॥ धारण कर बैरागी चोला,मंदिर किया बसेराबनकर के बैरागिन जिसने,पाया धवल सबेरा। लगा हुआ जिसके माथे पर,अहसासों का चंदन है,मीरा थी बस श्याम-दिवानी,जिसका अभिवंदन है…॥ बना हलाहल अमिय निमिष में,श्याम-राग रँग लायापहन गेरुआ वसन हर्ष से,जिसने भाव दिखाया। उस मीरा … Read more

जब से बदरा जल बरसाये

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** चैतन्य तरुण हो गयी धरा,जब से मेघा जल बरसाये।कोयल ने राग विरह छोड़ा,मल्हार राग फिर दुहराये॥ धरती मल मैल क्षरण करके,देखो नव यौवन पाया है,नदियों ने पानी ढो-ढो कर,सागर का मन दहलाया है।हरियाली है सब हरा-भरा,ऊपर से मेघ दूत छाये,अवनी की कोख हरी करने,मेघा आये मेघा आये॥ बंजर का मंजर टूट … Read more

सरस्वती वंदना

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** हे मात शारदा तू मुझ पर,इतनी-सी अनुकंपा कर दे।वाणी से जग को जीत सकूँ,मेरे गीतों में लय भर दे॥ शब्दों छंदों का भिक्षुक हूँ,मैं मांग रहा कुछ और नहीं,जाने कब साँस उखड़ जाए,जीवन की कोई ठौर नहीं।मेरी छोटी-सी चाह यही,धन-दौलत की परवाह नहीं,इस शब्द सिंधु को पार करूँ,उन्मुक्त कल्पना को पर … Read more

मन का दर्पण मिला नहीं

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ तन तो देखा रोज मुकुर में,मन का दर्पण मिला नहीं।देखा पीछे बिम्ब प्रकृति का,लिये खड़ा उपहार सभीआये स्वयं कक्ष में मेरे,अचला के श्रृंगार सभी।नित्य सजाया तन पुष्पों से,मन का उपवन मिला नहीं॥ दिखा इसी दर्पण में मुझको,भूतल का विस्तार यहांमैं आगे हूं पीछे मेरे,एक बड़ा संसार यहां।तन तो चला योजनों इसमें,मन का वाहन … Read more

जीवन-सुमन खिला देना

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** चिर-बिछोह से पीड़ित परिजन,उनका साथ निभा लेना।अपनेपन के शब्द बोलकर,अपनापन दिखला देना॥ दुखी बहुत हैं,गुमसुम भी हैं,उनका मौन भयावह है।उनके हिस्से में आया दु:ख,बेबसी का कलरव है।चुप्पी का माहौल वहाँ तो,चुप रह समय बिता देना। आशा और विश्वास से संभलें,बहते आँसू आँखों के।पोर-पोर की पीड़ा पिघले,बनते मरहम साँसों के।महक उठे उजड़े मधुवन … Read more

जाना होगा

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* बेशक ढेर लगाया धन का,यहीं छोड़कर जाना होगा।कर्मों के ताने बाने को , यहीं तोड़कर जाना होगा॥ लोभ मोह आपाधापी में,छूट गए सब काम जरूरी,साधन के हम दास बने हैं,हुई साधना कभी न पूरी।रहा घूमता मिथ्य शिविर में,पैर पटकता रहा तिमिर में,आसमान को छूने वाली,चाह हमेशा रही अधूरी। जिस दिन प्राण … Read more

दिया नहीं…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** देश से लिया बहुत,देश को दिया नहीं।देश राग का अमिय,नेह से पिया नहीं॥देश से लिया बहुत…. भू से अन्न था लिया,श्वाँस ली समीर से।जिंदगी बची रही,शुभ्र मधुर नीर से॥ है ये पावनी धरा,गान तो किया नहीं।देश से लिया बहुत,देश को दिया नहीं॥ देश राग का अमिय,नेह से पिया नहीं।देश से लिया बहुत,देश … Read more

खिली-खिली तबीयत है

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ***************************************** दिनकर ने शोले बरसाए पर अब तो राहत है।बहुत दिनों के बाद सभी की खिली-खिली तबियत है॥ ताल-तलैयां रीत गए थे,नदियां भी थीं सूखीबुझा-बुझा मन रहता था,और काया भी थी रूखी। बारिश की बूँदों से पर अब हर उर आनंदित है,बहुत दिनों के बाद सभी की खिली-खिली तबियत है…॥ कंठ … Read more