श्रद्धासुमन

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** मेरी सेना के योद्धा (केंद्र- जनरल बिपिन रावत) हर नगर में हर डगर में,बह रहे हैं नैन क्यूँ।हो गए हैं मन विकल अब,छिन गए हैं चैन क्यूँ॥कौन-सा ये फूल जाकर,गोद में प्रभु की खिला।आसमां का था सितारा,आसमां से जा मिला॥ परिचय– डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ने एम.एस-सी. सहित डी.एस-सी. एवं पी-एच.डी. … Read more

नमन देश की माटी चंदन

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** ७५ बरस की आजादी का अमृत और हम सपर्धा विशेष…. नमन देश की माटी चंदन,हे माँ,तुझे प्रणाम।स्वर्ग-सी पावन निर्मल आभा,मंगलमय अभिराम॥ विश्व बंदिनी मातृभूमि जय,भारत देश महान।वीर शहीदों की धरती माँ,शक्ति-भक्ति वरदान॥जय-जय कोटि कोटि देवों की, ऋषि-मुनियों की धाम।स्वर्ग-सी पावन निर्मल आभा,मंगलमय अभिराम॥ बहु भाषा-भाषी जन इसका,करते मंगल गान।बहु संस्कृति धर्मों … Read more

राधे के मन श्याम

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** रचनाशिल्प:मात्रा १६/११….. श्याम बसे राधा के मन में,यदु नंदन घन श्याम।हुई बावरी दर्शन खातिर,ढूँढे सुबह व शाम॥ वन-वन फिरती प्रेम दिवानी,कालिंदी के पास।लगन लगे लीलाधारी से,एक आस विश्वास॥साँस-साँस में श्याम रमा है,रटती है अविराम।हुई बावरी दर्शन खातिर,… यमुना के पावन जल भीतर,परछाई चितचोर।कहाँ छुपे हो कान्हा मेरे,गलियन करती शोर॥मन आँगन … Read more

नारी से शोभा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* नारी से शोभा बढ़ती है,नारी फर्ज़ निभाती है।नारी कर्म सदा करती है,नारी द्वार सजाती है॥सबको कब यह भान मिलेगा,नारी प्रेम बहाती है।सबको कब यह ज्ञान मिलेगा,नारी पूज्य कहाती है॥ नारी के सब गुण गाते हैं,पर ना धर्म निभाते हैं।कुछ कहते हैं पर करते कुछ,लोग सदा भरमाते हैं॥अब अँधियारा तजना होगा,उजियारे … Read more

शीत में इस अगन बन के

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प:२१२२ २१२२….. तुम सुबह की किरन बन के,और मध्यम पवन बन केतोड़ सीमा आज आओ,शीत में इस अगन बन के। पुंज प्रकाशित शिखर लौ,दिव्य मेरे मुख चमक तुमदीप की ये ज्योति अनुपम,शब्द तुम मै बयन बन के। हंस तुम आकाश उड़ते,पांख मैं तुझमें लगी सीपार नभ के उड़ चले हम,साथ मेरे … Read more

शुभ दीवाली आई

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)********************************* दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष …… जगमग दीप जले घर-घर में,लेकर खुशियाँ आयी है।रंग-बिरंगे परिधानों में,सबके मन को भायी है॥ धनतेरस की पावन बेला,जगमग दीप जलाते हैं।स्वस्थ होत है तन-मन जिससे,धन्वन्तरी बताते हैं॥लेकर के सौगातें देखो,शुभ दीवाली आयी है।जगमग दीप जले घर-घर में,लेकर खुशियाँ आयी है॥ नरकासुर राक्षस को मारे,इस दिन … Read more

काव्य कुसुम बिखराएंगे

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:ताटंक छंद- ३० मात्रा,१६-१४ पर यति,पदांत २२२ सदा दूसरों के हित अपनी,कौशलता दिखलाएंगे।दया प्रेम सौहार्द्र शांति के,काव्य कुसुम बिखराएंगे॥ काव्य सरस मधुमय शब्दों की,मधुर लयबद्धता होगी।रस छंद व भाव सुरों की,सजी क्रमबद्धता होगी॥परदुख करुणा भाव रश्मि से,रसिक काव्यगुण गाएंगे।दया प्रेम सौहार्द्र शांति के,काव्य कुसुम बिखराएंगे॥ निकले कोई भाव न ऐसा,हृदय ठेस … Read more

ईश्वर कण-कण में

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** ईश्वर और मेरी आस्था स्पर्धा विशेष….. वे रश्मि वर्षा करते हैं,धन आंनद का भरते हैंभर आस्था प्यार पुकारे,पास खड़े श्याम हमारे। क्षिति पावक गगन समीरा,व्यापित दस दिशि थल नीराआज्ञा बिन पात न डोले,जग सारा हरि गुण बोले। शोर और सन्नाटा में,फूल पात और काँटा मेंईश्वर कण-कण बसते हैं,आस्था में ही दिखते हैं। इक … Read more

कौवे का शुभ संदेश

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* पितृ पक्ष विशेष…. कौवे की शुभ सुन लें बात,देता है सुंदर सौगात।मूर्ख मनुज कैसा इंसान,पितर पक्ष में बने महान। ढोंग करे अरु व्यर्थ सम्मान,प्राणयुक्त में रखा न ध्यान।मीठे पकवानों का भोग,खाएँगे यह पाले रोग॥ कहते कौवा खाओ भोग,प्रेषित करते बहुत वियोग।प्राणयुक्त में बड़ा रूलाय,मृत होने पर रीत निभाय॥ वृद्धावस्था का जो … Read more

पुरखों को दो मान

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** पितृ पक्ष विशेष….. करते पूजा पाठ,पितर की करते सेवा।मन में श्रद्धा भाव,और खाते सब मेवा॥करते अर्पण नीर,देव को सभी मनाते।चावल जौ को साथ,हाथ लेकर सब जाते॥ करते पितृ को याद,साल में सब है आते।होते भगवन रूप,सभी अपने घर जाते॥छत के ऊपर बैठ,काग को भोग खिलाते।है पितरों का रूप,यहाँ हम … Read more