संघर्ष का पर्याय जीवन
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचना शिल्प:कुल मात्रा भार -२५/यति-१६-९; पदांत २१२ क्षणभंगुर जीवन सकल यह,कर लोे कर्म को।गीता का भी सार यही है,जानो मर्म को॥इस जीवन का कर्त्तव्य सदा,बस पुरुषार्थ है।सबको जाना इस दुनिया से,अटल यथार्थ है॥ संघर्ष का पर्याय जीवन,हार न मान लो।जीत जाओगे हर हाल तुम,बल पहचान लो॥हमें शिक्षा देते हैं सदा,ये संघर्ष … Read more