मन

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* मन की गति विचित्र, कोई ना मन का मित्र मन है बड़ा चपल, इसे तो संभालिये॥ मन है सबका राजा, रहता है सदा ताजा नही ये किसी के वश, इसे समझाइए॥ करे जो मन को वश, होता न वो परवश पाता है विजय वही, इसे वश कीजिए॥ मन ही करता … Read more

मेरा भारत देश सुतंत्र बने

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** मैं वंदन नमन करूं भारत। जग में सबसे सुंदर भारत। यह विश्व में देश महान बने। मेरा भारत देश सुतंत्र बने॥ हिम ढका हिमालय जग ऊंचा। यह पर्वतराज हिमेश बना। जग पावन शुद्ध दिव्य सरिता। जो करें विमल पावन पतिता॥ यह कीर्ति पताका जग फहरे। जल-थल-नभ में सुगंध महके। यह … Read more

प्रेम फुहार

मनोरमा चन्द्रा रायपुर(छत्तीसगढ़) ******************************************************** मगन हो प्रेम रंग, सब पर लुटाइये, बैर भाव मन से तो, सदा ही मिटाइये। माँ प्रेम ममता भरी, दिल से अपनाइए, पिता से अनुशासन, नित सीख जाइए। भाई प्रेम रक्षा करे, बहनों से प्रीत मिले, स्त्री,पुरुष प्रेम में भी, समर्पण चाहिए। प्रेम रस जीवन में, उमंग भरे जानिये, बिना प्रेम … Read more

प्रीत की पुकार से

प्रभात कुमार दुबे(प्रबुद्ध कश्यप) देवघर(झारखण्ड) *********************************************** प्रीत की पुकार सेl रीत की गुहार सेl हो नहीं अधीर-सा। ठोक ताल बीर-सा। है धरा पुकारती। है तुझे गुहारती। सत्य पे डटे रहो। क्षेम पे गहे रहो। कृष्ण-सा कहो वही। पार्थ-सा लड़ो कहीं। सोभती भुजंग वो। रोक पाश जंग जो। धीर-सा रहो कहीं। चीर-सा फटो नहीं। रीत प्रेमजीत … Read more

छुपो नहीं किवाड़ में

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’  इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) ************************************************************** (रचना शिल्प:१२१ २१२ १२१ २१२ १२१ २१२) चले जो लेखनी लिखे नवीन छंद कल्पना, समाज को मिले दिशा करूँ नवीन सर्जना। चुनाव की सभी दिशा हवा फ़िज़ा बहार है, सभी लगा रहे क़यास कौन दावेदार है। जरा रुकें जरा सुनें,जरा इसे जगाइये, ज़मीर को जगाइये जवाब आप पाइये। … Read more

अश्क

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* अश्क हैं बड़े अमूल्य, आंकें ना इनका मूल्य कहते हैं सब-कुछ व्यर्थ ना बहाइयेll करे ये दिल घायल, हो जाते सब कायल अश्क सिर्फ पानी नहीं अर्थ समझाइएll अंतर्मन का द्वंद् है, कवि का यह छंद है दिल तक ये जाता है इसको दिखाइएll सिंहासन हिल जाते, तूफानों से टकराते … Read more

धरा को बचाएं मिल

बिनोद कुमार महतो ‘हंसौड़ा’ दरभंगा(बिहार) ********************************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… (रचना शिल्प:८,८,८,७ वर्ण प्रति चरण) धीरे-धीरे अब धरा,हो रही है अधमरी। प्रदूषण काल बना,करता विनाश है॥ जल का अभाव सदा,कचरा बहाव सदा। रासायनिक खाद से,बनती वो लाश है॥ कुँआ न तालाब दिखे,खेत-खलिहान सूखे। प्रकृति में पेड़ का तो,जैसे उपहास है। कराह रही है धरा,सोचिये … Read more

प्यारी पृथ्वी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… प्यारी पृथ्वी जीवन दात्री, सब पिण्डों में,अनुपम है। जल,वायु का मिलन यहाँ पर, अनुकूलन भी उत्तम है। सब जीवों को जन्माती है, माँ के जैसे पालन भी। मौसम ऋतुएँ वर्षा,जल,का करती यह संचालन भी। सागर हित भी जगह बनाती, द्वीपों में यह बँटती है। पर्वत नदियाँ … Read more

यह है धरती सब की जननी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… यह है धरती सबकी जननी। सब जीव-जनाश्रय है उरवी। यह भू-महिमा अति पुण्यमयी। अति सुंदर है सब सार गहीll पद में जल-सागर अंक लिये। धरती पर शोभित मेघ लिये। खग-झुंड महान भरे नभ में। जल भीतर मीन उछाह लियेll जल-कुंभक,व्याघ्र विशाल भरे। सर-बीच खिले जल-जात … Read more

धर्मपत्नी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जीवनसाथी आज जो,थी पहले अनज़ान। पली बढ़ी तरुणी बनी,तजी गेह अभिमान॥ एकाकी थी जिंदगी,सूना था संसार। मन ख्वाबों से था भरा,अपना हो परिवार॥ पढ़ी-लिखी हो रूपसी,शील त्याग मृदु भास। सुगृहिणी और संगिनी,प्रेम सरित आभास॥ बहुत जतन के बाद में,मिली सुकन्या एक। परिणीता वैदिक विधा,मिली संगिनी नेक॥ नववधू बन … Read more