बाँधे मन ही जीव को
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ (रचना शिल्प-अष्टावक्र गीता के श्लोकों का हिंदी अनुवाद) बंधन कारण यह सभी,काम,शोक,मितत्याग।कभी ग्रह्ण व प्रसन्नता,या मन क्रोधी आगll ठीक उलट है मुक्तिपथ,काम शोक नहीं त्याग।नहीं ग्रहण न प्रसन्नता,नहीं क्रोध की आगll बंधन मन आसक्ति है,मुक्ति कामनाहीन।बाँधे मन ही जीव को,वही मुक्त भी कीनll मैं-मेरा का भाव ही,जब तक,बाँधे जीव।नहीं त्याग नहिँ … Read more