नारी विमर्श की शानदार कृति ‘नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान’

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कोटा (राजस्थान)। कोई भी कृति अपने समय संस्कृति को रुपायित करती है। लोकार्पित कृति ‘नारी साहित्यिक चेतना की उड़ान’ भी कालांतर में अपने परिवेश बताएगी। यह नारी विमर्श की शानदार कृति है। सच तो यह है कि हाड़ौती अंचल में ८१ लेखिकाओं के सृजन को केंद्र में रखकर लिखी गई है।यह वक्तव्य मंगल कलश सभागार … Read more

गर्व से कहें कि ‘हम भारतीय’

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* मुद्दा:भारत बनाम इंडिया और हिंदुस्तान…. भाषा परिवर्तन और शब्दों की अनुभूति ही भाषा को नए आयाम प्रदान करती है। कुछ समय पहले ‘महाराज’ शब्द अपने शासकों के समय में प्रतिनिधित्व करता था और होटल में भोजन बनाने वालों, कतिपय ज्ञानी पंडित या किसी कला में निपुण प्रसिद्ध कलाकार आदि के सम्मान … Read more

श्रीकृष्ण सच्चे अर्थों में सृष्टि के कुशल महाप्रबन्धक

ललित गर्गदिल्ली************************************** जन्माष्टमी-६ सितम्बर विशेष… भगवान श्रीकृष्ण हमारी संस्कृति के एक अद्भुत एवं विलक्षण राष्ट्रनायक हैं। श्रीकृष्ण का चरित्र एक प्रभावी एवं सफल प्रबंधन गुरु वाले लोकनायक का है। वह द्वारिका के शासक भी हैं किंतु कभी उन्हें राजा श्रीकृष्ण के रूप में संबोधित नहीं किया जाता। वह तो ब्रजनंदन है। कुशल प्रबंधन सोच के … Read more

अब राखी में भाई-बहन के प्यार का वह ज्वार नहीं

ललित गर्गदिल्ली************************************** स्नेह के धागे… भारत धार्मिक-सांस्कृतिक परंपराओं और त्योहारों का देश है, यहाँ के हर त्योहार का अपना एक मकसद और रंग होता है, जो विभिन्न धर्मों, समाजों एवं लोगों को करीब ले आता है। रक्षा-बंधन भी ऐसा ही अनूठा सांस्कृतिक पर्व है। राखी के धागे बहन के पवित्र प्रेम और रक्षा की डोरी … Read more

प्रतिस्पर्धा-प्रतिष्ठा के लिए बच्चों पर तनाव नहीं थोपें

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* आत्महत्या…. आज हर व्यक्ति भौतिकता को प्राथमिकता दे रहा है। भौतिकता के कारण वह अंधी दौड़ में दौड़ रहा है। यदि उसने कोई पद प्राप्त किया है, तो वह यह अपेक्षा भी रखता है कि, मैं अन्य से आगे निकलूं या वह स्वयं से भी वर्तमान से असंतुष्ट होकर आगे निकले। हर व्यक्ति … Read more

अपने बच्‍चों से व्यवहार में रखें समझदारी

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** वर्तमान में एकल परिवार होने के कारण बच्चों का लालन-पालन अलग ढंग से होना शुरू हुआ। पहले संयुक्त परिवार होने से शिशु किस-किसके पास जाता और मस्ती करता था, वह सबके साथ हिल-मिलकर रहता था।जब भूख लगती थी, तब माँ के पास जाता था। और खाना खाना शुरू होने पर वह दादा- दादी, … Read more

शिक्षा के व्यवसायीकरण पर चिंतन जरूरी

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** कुछ दिन पूर्व मैं किताब खरीदने गई तो वहाँ एक महाशय अपने बच्चों की किताब खरीदने के लिए पुस्तक विक्रेता से दाम की अधिकता के बारे में तथा पुरानी किताब को बेचने के लिए अनुरोध कर रहे थे, और बड़बड़ा रहे थे कि क्या जमाना आ गया, शिक्षा व्यापार बन गई, पहले … Read more

बच्चों को चरित्रवान बनाना बहुत बड़ी चुनौती

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** दाम्पत्य जीवन में शिशु की किलकारी के साथ सन्तान के रूप में नए सदस्य के आगमन का क्षण अत्यन्त ही सुखद और महत्वपूर्ण होता है, जो परिवार की पूर्णता को प्रमाणित करने के साथ उसकी श्रेष्ठ पालना का महत्वपूर्ण दायित्व भी माता-पिता को सौंपता है। अक्सर अभिभावक अपनी सोच, समझ और … Read more

लक्ष्य प्राप्ति हेतु आनन्दपूर्ण मार्ग का निर्माण करें

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** आज का इंसान ना जाने क्या प्राप्त करने के लिए नासमझी भरी अनियंत्रित गति से दौड़ रहा है। सम्भवतः कुछ हासिल करने से अधिक वह खोने का यत्न कर रहा है। उसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समझाया भी जा रहा है कि, इस दौड़ में प्राप्ति से अधिक हानि होगी … Read more

‘सकारात्मकता’ से ही स्वस्थ समाज का निर्माण

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** बातों और चर्चाओं का हमारे जीवन में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। एक-दूसरे के समक्ष किसी विषय, घटना या व्यक्ति के सम्बन्ध में अपने अपने विचार रखना, भावनाएं व्यक्त करना, ये सब बातचीत का हिस्सा होती हैं। अनूमन जिन घटनाओं और व्यक्तियों की क्रिया-कलापों को हम पसन्द नहीं करते, अक्सर वे ही … Read more