वाकई ‘मीरा जैन की सदाबहार लघुकथाएँ’

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* समीक्षा.. मीरा जैन का नया लघुकथा संग्रह ‘मीरा जैन की सदाबहार लघुकथाएँ’ हैं, जिसमें १०० लघुकथाएँ हैं। मीरा जी, जिन्होंने लघुकथा विधा में महारत हासिल की है, को विधा के अनुरूप शब्द विन्यास को गढ़ना बखूबी आता है, क्योंकि प्रत्येक विधा के कुछ विशेष नियम और परिधि होती है। उन … Read more

जीवन व प्रेम के उतार-चढ़ाव का दर्पण ‘मेरी कहानी और शहनाज़’

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** ‘मेरी कहानी और शहनाज़’ प्रसिद्ध लेखक लियाकत मंसूरी द्वारा लिखित ऐसा उपन्यास है, जो पढ़ने पर पाठकों को शुरू से आखिरी तक बांधे रखता है। लेखक ने अपने उपन्यास के पात्र शहनाज़ के साथ जीवन जीते हुए, उससे वार्तालाप करते हुए ऐसी कहानियों का गुलदस्ता पाठकों को थमाया है, … Read more

सटीक अभिव्यक्ति है ‘सदी की सबसे बड़ी तालाबंदी’

रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** पुस्तक समीक्षा… १ वर्ष पहले मुझे अविस्मरणीय पुस्तक मिली ‘सदी की सबसे बड़ी तालाबंदी।’ लेखक अवधेश सिंह (गाजियाबाद) की इस पुस्तक पढ़ने के मध्य कई बार अश्रुपूरित नेत्रों ने व्यवधान डाला। कई बार फूट-फूट कर रोई भी। बहुत सोचा कि, इस पुस्तक पर अपने विचार लिखूॅं, पर खोए हुए अपनों की … Read more

प्रयोगवादी विचारों की धरा पर अनूठा प्रयास ‘श्रीप्रभात-चित्र कविताएँ’

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* पुस्तक समीक्षा… सूरज की पहली किरण के आगमन से ही धरा चिड़ियों की चहचहाहट, पशुओं के कलरव, पेड़-पौधों की हरियाली, फूलों की सुगंध, शांति, नव ऊर्जा, सुंदरता, ओज, सकारात्मकता आदि से दमक उठती है। काली विकट रात्रि के उपरांत जिस प्रकाश की गोद में पृथ्वी फलती-फूलती दृष्टिगोचर होती है, उसी … Read more

‘न्याय दर्शन का शैक्षिक महत्व’ है दिव्यचक्षु

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** रूद्रपुर (ऊधमसिंह नगर, उत्तराखण्ड) की डॉ. पूनम अरोरा द्वारा रचित ‘न्याय दर्शन का शैक्षिक महत्व’ पढ़ने का अवसर मिला। वर्तमान में लिखे जाने वाले साहित्यों में बाल साहित्य, नारी विमर्श, दलित विमर्श, आदिवासी जीवन पर आधारित साहित्य आदि पर प्रचुर मात्रा में लेखनी चलाई जा रही है। लगभग सभी में … Read more

शायरी के आसमान को मुनव्वर कर रहे हैं सुभाष पाठक ‘ज़िया’

सिद्धेश्वरपटना (बिहार)********************************** लोग कहते हैं कि, ग़ज़लों की बाढ़-सी आ गई है। इस बात को मैं स्वीकार नहीं करता, क्योंकि हिंदी ग़ज़ल के नाम पर जो कुछ आज परोसा जा रहा है, वह ग़ज़ल में अपनी बात कहने का प्रयास भर है, ग़ज़ल नहीं। ग़ज़ल एक बहुत ही नाज़ुक विधा है। छंदमुक्त कविता की तरह … Read more

पौराणिक कथाओं के आधार पर लिखी जानी चाहिए कहानियाँ

ऋचा वर्मापटना (बिहार)*********************************** पुस्तक समीक्षा…. साहित्य और कला के क्षेत्र में ‘सिद्धेश्वर’ एक जाना-माना नाम है। उन्हीं के सम्पादन में प्रकाशित ‘कथा दशक’ १० नए-पुराने कथाकारों की चुनिंदा कहानियों से सजा रंग-बिरंगा गुलदस्ता है, जिसमें २० अलग-अलग तेवर, अलग-अलग वर्गों, अलग-अलग काल और अलग-अलग आकार की कहानियाँ संकलित हैं। इसी विविधता के कारण यह संकलन … Read more

प्रेम का अद्भुत समीकरण ‘दबे पाँव चुपचाप’

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** समीक्षा…. प्रेम! मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति…भावनाओं का वो प्रदर्शन है, जहाँ भाषा भी गौंण पड़ जाती है। यही कारण है कि, पारिवारिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि अनुष्ठान अपने अस्तित्व का प्रमाण ढोल-ताशे, नगाड़े, बैंड-बाजे, घुँघरूओं की झंकार, ढोलक की थाप, गीत, नृत्य आदि द्वारा चिल्ला-चिल्लाकर व्यक्त करते हैं। यदि राजस्थान … Read more

बाल अधिकार जगाती ‘पोशम्पा’

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** पुस्तक समीक्षा… एक दौर था, जब गली-मुहल्ला ही नहीं, घर-आँगन भी बच्चों के खेलों और उनकी चिल्ल-पों से भरा रहता था। कहीं लट्टू, कंचे, तो कहीं चष्टांग-अष्टांग, गिल्ली-डंडा, स्टापू, रस्सी, चोर-पुलिस, मंत्री सिपाही और शतरंज आदि शारीरिक एवं मानसिक खेलों का जमावड़ा लगा रहता था। तब बाल जीवन में बोरियत … Read more

चुनिंदा कहानियों से सजा गुलदस्ता ‘कथा दशक’

ऋचा वर्मा पटना (बिहार)*********************************** समीक्षा….. साहित्य और कला के क्षेत्र में ‘सिद्धेश्वर’ एक जाना-माना नाम है। उन्हीं के सम्पादन में प्रकाशित ‘कथा दशक’ १० नए-पुराने कथाकारों की चुनिंदा कहानियों से सजा एक रंग-बिरंगा गुलदस्ता है, जिसमें अलग तेवर, समाज के अलग वर्गों और काल की २० कहानियाँ संकलित हैं। इसी विविधता के कारण यह संकलन … Read more