धरती का भगवान
ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** दाल और बस रोटी ही,भोजन में पकवान बना,गोल घड़ी थी चश्मा था जो,जीवन की पहचान बना।निज कपड़े निज बर्तन सारे,खुद ही धोया करता था-कहने को इंसा था लेकिन,धरती का भगवान बना॥ परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन … Read more