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जंजीर

डॉ.हेमलता तिवारी
भोपाल(मध्य प्रदेश)
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तुम नहीं मैं….
तुम नहीं,मैं इस कालजयी कृति सोफे पर बैठी हूँ,
कुछ इस तरह जैसे-
खुले ढक्कन के बॉक्स में बैठी बाहर झाँक रही होऊँ।

तुम अपारिजित अमर गर्वित से,
मुझे यूँ न निहारो
मैं अविजित अधभ,
तोडूंगी कहां तक तुम्हारे!

हिमालय सम मान्यता प्राप्त नियम,कानून, बंधन,रूढ़ियाँ,
ना ‘ना’ यूँ न अपने चाकलेटी मुस्कुराहट भरे चेहरे में
चढ़ाओ त्याग की परतें,
मैं खोखली सत्ता की चादर
एक न एक दिन नष्ट ही होएगी।

तुम्हारा अविनश्वर पुरुषत्व,अहं,
सदा से ही तो कुचलता रहा
मेरी भावनाओं,कल्पनाओं,आकांक्षाओं को,
कब नहीं डालीं पैरों में
तुमने बेड़ियां ?
कब नहीं कसा,जकड़ा जंजीरों से,
न तुमने कभी नहीं चाहा
कि मैं ‘मैंं’ रहूँ।

जीवन का हर पल मेरा तुमने,
मुझे ‘मैंं’ नहीं हम बनाया
पिता-भाई-पति-बेटा…
ये चार बेड़ियां ‘हम’
बनकर ही तो मुझे,
जिन्दगी के हर क्षण
अकेला करती गई
तन्हा सिर्फ तन्हा।

इसके उपर महानता का
सुनहरा आवरण,
और दागों भरी वीभत्स चादर
चढ़ाने वाले भी
सिर्फ तुम ही थे,
तुम्हारा अपराजेय पौरुष,अहं।

पारिवारिक भीड़ इकट्ठी करके,
हर पल मेरी जिंदगी
किसी रंगमंच पर खेले गए,
घटिया नाटक से
कभी भी तो कम नहीं रहने दी तुमने,
और हमेशा की तरह तुम नहीं मैं…
खुले ढक्कन के इस बॉक्स में बैठी बाहर झाँक रही हूँ॥

परिचय-डॉ.हेमलता तिवारी का जन्म १४ नवम्बर १९६५ को सागर में हुआ हैl वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में निवास है,जबकि स्थायी पता भोपाल(मध्य प्रदेश) हैl बी.एस-सी,(जीवविज्ञान)बी.ए.(संगीत), एम.ए (संगीत, इतिहास, दर्शन,लोक प्रशासन,एजूकेशनल सायकोलॉजी, क्लीनिकल साय.,आर्गेनाइजेशनल साय.)एल.एल.बी.,पी.जी.डी.(लेबर लॉ एंड इण्डस्ट्रियल रिलेशन)सहित पी.एच-डी.(इन क्लीनिकल साय.), एम.बी.ए.(वित्त और मानव संसाधन) की शिक्षा प्राप्त डॉ.तिवारी का कार्य क्षेत्र-नौकरी हैl सामाजिक गतिविधि के तहत आप व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षक,परामर्शी सहित ज्योतिष लेखन में सक्रिय हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी एवं आलेख हैl हिन्दी सहित अंग्रेजी का भाषा ज्ञान रखती हैं।

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