प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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(रचना शिल्प:बह्र/अर्कान-१२२२×४-मफाईलुन-मफाईलुन-मफाईलुन-मफाईलुन)
शहीदों की चिताओं में लगें मेले मुनासिब है।
शहादत को रखेंगे याद मुमकिन यार वाज़िब है।
रखें महफूज़ सरहद को यकीनन जान से खेले,
जमाना ये कहे सैनिक बड़ा अय्यार साहिब है।
शहादत भी वतन के वास्ते ज़न्नत हुआ करती,
तलब हो जब हिफाज़त की वही तो यार तालिब है।
हिफ़ाज़त मुल्क़ वालों की करेे जो खेल के जाँ पे,
वही कहता अदब का सूरमा वो यार ग़ालिब है।
फ़रेबी हो जो बाशिन्दा यकीनन ही मिले दोजख़,
जमाना ये कहे ज़ाहिल वो बेअदबी के जानिब है।
यकीनन सरज़मीं अपनी वो है क़ाबिल इबादत के,
ज़मी ज़र्रा के ख़ातिर जो मरे वो शख़्स भी रब है।
इल्म वालों ने फ़रमाया वतन से इश्क `ध्रुव` ज़ायज,
सितारे हों कि ग़र्दिश में कसौटी यार भी तब हैll
परिचय–प्रदीपमणि तिवारी का लेखन में उपनाम `ध्रुव भोपाली` हैl आपका कर्मस्थल और निवास भोपाल (मध्यप्रदेश)हैl आजीविका के लिए आप भोपाल स्थित मंत्रालय में सहायक के रुप में कार्यरत हैंl लेखन में सब रस के कवि-शायर-लेखक होकर हास्य व व्यंग्य पर कलम अधिक चलाते हैंl इनकी ४ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैंl गत वर्षों में आपने अनेक अंतर्राज्यीय साहित्यिक यात्राएँ की हैं। म.प्र.व अन्य राज्य की संस्थाओं द्वारा आपको अनेक मानद सम्मान दिए जा चुके हैं। बाल साहित्यकार एवं साहित्य के क्षेत्र में चर्चित तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से अनुबंधित कलाकार श्री तिवारी गत १२ वर्ष से एक साहित्यिक संस्था का संचालन कर रहे हैं। आप पत्र-पत्रिका के संपादन में रत होकर प्रखर मंच संचालक भी हैं।