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परिवर्तन

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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रचना शिल्प:३२ वर्ण( ८८८८) प्रतिचरण चार चरण समतुकांत,आंतरिक समान्तता अपेक्षित,चरणांत लघु-लघु ११

हे श्याम वर्ण के घन
नर्मद सा हो ये मन,
पत्थर शिव जीवन
वसुधा पर सावन।

सागर जैसा हो धन
विहगों जैसा जीवन,
यमुना-सी बंशी धुन
गंगा-सा जल पावन।

हे राधा तेरा नर्तन
मेघों के जैसा गर्जन,
हो युग परिवर्तन
माधव मन भावन।

मीरा के पद गायन
भारत माता के जन,
पायलियों का वादन
छंद विज्ञ के गावन।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।

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