कुल पृष्ठ दर्शन : 183

You are currently viewing हालात

हालात

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

**********************************************************************

प्रभात,चौवीस वर्ष का गोरा-चिट्टा, नौजवान। सर्वगुण सम्पन्न,खेलकूद, पढाई-लिखाई,गीत-संगीत,जैसी हर कला में दक्ष। अपने कोमल,शीतल,मन से हर किसी का लुभावना। हर किसी से घुल-मिल जाता,और फिर सबको ऐसा लगता कि उसका साथ ही सबसे प्यारा,अच्छा है।
गत २५ दिसम्बर को अपने जिले की क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करने महाराष्ट्र प्रान्त के नागपुर शहर गया हुआ था। जनवरी दो हजार बीस में वापसी का वक्त आते-आते पूरी दुनिया महामारी ‘कोरोना’ से घिर गई।
प्रभात भी इस महामारी से संक्रमित हुआ। शायद ऐसा उसके अपने स्वभाव की वजह से हो गया। अतः जिला प्रशासन को उसके संक्रमित होने की खबर लगते देर न लगी। फलस्वरुप प्रभात को जिला अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
अस्पताल में प्रभात से मिलने कोई नहीं आता। शुरूआती चार-पांच दिन में ही उसे जीवन से चिढ़ होने लगी। प्रभात विचलित होने लगा। मायूसी,बेबसी के हालात से तंग होकर एक दिन उसने अपने अभिन्न मित्र ‘जहीर’ को ‘नमस्ते’ कहते हुए कविता के स्वरूप में यूँ ही कुछ भी जो मन में आया, मोबाइल से वाट्सएप में भेज दिया। उसी दिन शाम होते-होते प्रभात को उसके वाट्सएप पर सैकड़ों पसंद (लाइक) मिली। बहुतों ने कहा ये नया कवि,शायर,लेखक, इत्यादि कहाँ से पैदा हो गया।
यूँ ही समय व्यतीत करने के लिए लिखी गई अपनी चार पंक्तियों की तारीफों से प्रभात का मन बहुत हर्षित हुआ। फिर अगले दिन से उसने इस लेखन कला को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया। अब उसकी सारी उकताहट मिट गई। उसका हर दिन देखते!
देखते ऐसे गुजर जाता,जैसे आया ही नहीं।
आज कुछ ही महीनों में प्रभात के घर पर उससे मिलने के लिए बहुतोंं का आना होता है। हर कोई उसे उसके नाम के अलावा कवि, लेखक,या शायर महोदय कहकर बुलाता है।
सुबह नाश्ते के वक्त माँ ने प्रभात से पूछ लिया-“मेरा ये बेटा कवि कैसे बन गया ? मैंने तो इसे गबरू बनाया था।”

प्रभात ने तुरन्त जवाब दिया-“मम्मा तूने साथ में सिखाया भी था,बुरे वक्त में हालात से डरकर हौंसला मत हारना।

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

Leave a Reply