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सभ्यता और संस्कृति पर आघात महिलाओं के प्रति अपराध

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते,रमन्ते तत्र देवता’ का उदघोष करने वाला हमारा देश आज महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के कारण लज्जित है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में बलात्कार और छेड़छाड़ की बर्बर घटनाएँ आए-दिन घटित हो रही हैं। घर हो या बाहर,महिलाएँ कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। घर और समाज में महिलाओं का कदम-कदम पर होता अपमान हमारी पुरुष प्रधान विकृत सोच को दर्शाता है। आज जब महिलाएँ अपने पंख पसार सपनों को नई उड़ान देने की कोशिश कर रही हैं,तो समाज के वहशी दरिन्दे उनके पंखों को काटने के लिए तैयार बैठे हैं। समाज की सामन्ती और रूढ़िवादी शक्तियों को महिलाओं के अधिकार और आजादी फूटी आँख भी नहीं सुहाती। समाज की पुरुष प्रधान मानसिकता महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने की बजाय महिलाओं को ही दोषी ठहरा देती है। महिलाओं के प्रति होने वाले दुष्कर्म और छेड़खानी की घटनाएँ किसी भी सभ्य समाज के लिए अत्यन्त लज्जाजनक है। इससे महिलाओं की आत्मा पर जो घाव होते हैं, उसकी पीड़ा उन्हें आजीवन भुगतनी पड़ती है । ऐसी घटनाओं की सरकार और समाज द्वारा अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। परिवार द्वारा भी युवकों के अनुचित कार्यों और गतिविधियों पर अंकुश लगाना चाहिए। लड़कों के छोटे-छोटे अपराधों की अनदेखी करने से उनका हौंसला बढ़ता है और फिर ये ही आगे चलकर दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। समाज को महिलाओं के प्रति अपराध करने वाले लोगों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए और सरकार द्वारा इनके विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई होना चाहिए। महिलाओं के प्रति अपराध हमारी सभ्यता और संस्कृति पर आघात हैं।

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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